कुछ महिलाओं ने अपना वर्चस्व स्थापित करते हुए इस्लामिक स्टेट की शैली में खुद की शरिया अदालतें स्थापित कर ली हैं और उनकी विचारधारा को खारिज करने वाले आम लोगों को कठोर शारीरिक यातनाएं देती हैं। कोबाने कहते हैं, अलहोल में गंभीर खतरे हैं। जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोई कदम नहीं उठाता, यहां आक्रोश भडक़ने का खतरा है। अभी हमारे लोग अभी इनकी सुरक्षा करने में सक्षम हैं, लेकिन शिविर में आइएस से जुड़े समूह खुद को फिर से संगठित और पुनर्गठित कर रहे हैं। ये सच है कि हम उन्हें 100 फीसदी नियंत्रित नहीं कर सकते। पूर्वी सीरिया के अलहोल नजरबंदी कैंप में लगभग 70 हजार से अधिक लोग रहते हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, जो आइएस आतंकियों के खिलाफ लड़ाई के दौरान विस्थापित हुए थे। इनमें ऐसे नागरिक भी हैं, जो लड़ाई के दौरान हिरासत में लिए गए थे, लेकिन इनका आतंकियों से कोई संबंध नहीं है। गार्डों के मुताबिक 10 हजार विदेशी नागरिक हैं, जो चरमपंथी इस्लामिक स्टेट में शामिल होने आए थे।
बगदादी के संदेश से बढ़ा तनाव
सीरियाई डमोक्रेटिक फोर्सेज का कहना है कि पिछले महीने आइएस के नेता अबू बक्र अल बगदादी के एक वीडियो संदेश के बाद शिविर में तनाव बढ़ गया। इस संदेश में बगदादी ने अपने समर्थकों से कहा था कि शिविर की दीवारों को गिरा दो और जेल से बंदियों को रिहा करवाओ। मजलूम का कहना है कि एसडीएफ चाहती है कि दूसरे देशों की सरकारें अपने-अपने नागरिकों को वापस बुलाकर उनका बोझ कम करे, लेकिन सरकारें उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं हैं।
बुरे हाल हैं शिविर के
एक शहर के आकार का यह शिविर इराकी सीमा पर है, जिसमें भोजन दुर्लभ है, दूषित पानी के चलते बीमारियां फैल रही हैं। स्वास्थ्य सेवाएं चौपट हैं। रात में बिजली की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है और बिजली जाती है तो नाइट विजन उपकरण भी नहीं हैं। कुछ सीसीटीवी कैमरे हैं, जो सूर्यास्त के बाद बेकार हैं। बारिश के दिनों में बदहाल रहे इन लोगों के सामने सर्दियों में और मुश्किल आएगी।