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क्या था 1999 में हुआ भारत-पाकिस्तान के बीच का वो समझौता, जिस पर बयान देकर नवाज शरीफ ने मचा दिया तहलका? 

Pakistan: नवाज़ शरीफ ने अपनी पार्टी PML-N की बैठक में कहा कि पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को 5 परमाणु परीक्षण किए थे। उसके बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान आए थे। तब हमारे बीच एक समझौता हुआ था लेकिन हमारे देश ने ही उस समझौते का उल्लंघन किया जो कि हमारी गलती थी।

नई दिल्लीMay 29, 2024 / 04:14 pm

Jyoti Sharma

Agreement signed between India and Pakistan in 1999, Nawaz Sharif gave statement

Agreement signed between India and Pakistan in 1999

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ (Nawaz Sharif) ने एक बयान देकर पूरी दुनिया में तहलका मचाया हुआ है। नवाज शरीफ ने भारत के साथ उनके कार्यकाल में हुए समझौते को तोड़ने का आरोप अपने ही मुल्क पाकिस्तान पर लगाया है। नवाज़ शरीफ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) और उन्होंने जो 1999 में समझौता किया था उसे खुद पाकिस्तान ने (Pakistan) तोड़ा था। नवाज शरीफ के इस बयान के बाद भारत और पाकिस्तान की सियासत गर्मा गई है वहीं दुनिया भर के देशों में इसे लेकर बात हो रही है कि अगर नवाज़ शरीफ ये जानते थे कि उनका किया हुआ समझौता उनके ही देश पाकिस्तान ने तोड़ा है तो अभी तक उन्होंने चुप्पी क्यों साध रखी थी और उन्होंने अब ये बयान दिया है तो क्यों दिया है? इसमें क्या वो अपना और अपने भाई और अपनी पार्टी की सरकार का हित साधने की कोशिश कर रहे हैं?

क्या था नवाज़ शरीफ का बयान 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) बीते मंगलवार को बयान दिया कि सन् 1999 में उनके कार्यकाल के दौरान भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और उन्होंने एक समझौता किया था। शरीफ ने अपनी पार्टी PML-N की बैठक में कहा कि “पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को 5 परमाणु परीक्षण किए थे। उसके बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee visit Pakistan) पाकिस्तान आए थे। तब हमारे बीच एक समझौता हुआ था लेकिन हमारे देश ने ही उस समझौते का उल्लंघन किया जो कि हमारी गलती थी और इस समझौते के उल्लंघन का ही नतीजा था कि भारत-पाकिस्तान को कारगिल का युद्ध (Kargil War) देखना पड़ा।”

क्या था 1999 में हुआ ये समझौता? 

21 फरवरी, 1999 भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने जो समझौता किया था उसे ‘लाहौर घोषणापत्र’ या ‘दि लाहौर डिक्लरेशन’ (The Lahore Declaration) कहा जाता है। इसे भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना गया था। ये समझौता एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन से हुआ था। इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान (India-Pakistan Relation) के बीच जमी रिश्तों की बर्फ को पिघलाना था। 

क्या था इस घोषणापत्र में (The Lahore Declaration)

लाहौर घोषणापत्र (The Lahore Declaration) का मूल उद्देश्य दोनों देशों के बीच टिकाऊ शांति स्थापित करना था। साथ ही मैत्रीपूर्ण सहयोग की बात भी इस घोषणापत्र में की गई थी। इस घोषणा पत्र के अहम बिंदु नीचे लिखे हुए हैं। 
1- कश्मीर मुद्दे का समाधान- दोनों देश जम्मू-कश्मीर मुद्दे (Kashmir Issue) सहित सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए अपनी कोशिशों को तेज करने पर सहमत हुए। 

2- आतंकवाद- दोनों नेताओं ने आतंकवाद की निंदा की और इस खतरे से निपटने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।
3- परमाणु हथियारों से निपटना- भारत और पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों के अचानक और अनधिकृत उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए प्रतिबद्धता भी जताई थी। साथ ही सुरक्षा माहौल में सुधार के लिए दोनों की सहमती से इनके उपयोग पर उपाय बनाए। दोनों देशों ने परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार को लेकर अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
4- बातचीत पर फोकस- इस द्विपक्षीय एजेंडे को जल्द और सकारात्मक नतीजे देने के लिए बातचीत को और आगे बढ़ाने और तेज करने पर दोनों देशों ने सहमति दी। 

5- SARC लक्ष्यों को पाना – इस समझौते के मुताबिक दोनों देशों ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SARC) के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने पर प्रतिबद्धता जताई। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया के लोगों के हितों को बढ़ावा देना और इन देशों के आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास के जरिए उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना था।
6- मानवाधिकारों की सुरक्षा- दि लाहौर डिक्लरेशन में दोनों देशों ने सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई थी। 

कैसे पाकिस्तान ने किया उल्लंघन?

लाहौर घोषणापत्र पर भारत ने काफी उम्मीदें जताईं थीं कम से कम अब पाकिस्तान की हरकतों में सुधार होगा और वो शांति की तरफ बढ़ेगा लेकिन भारत की उम्मीदें जल्द ही धाराशाई हो गईं। क्योंकि समझौते के कुछ ही महीनों बाद ही कारगिल युद्ध (Kargil War) छिड़ गया। मई 1999 में जनरल परवेज़ मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ कर दी। परवेज मुशर्रफ का ये कदम लाहौर घोषणापत्र का साफ-साफ उल्लंघन था। जिसमें विवादों को शांति से सुलझाने और संघर्ष से बचने की बात कही गई थी। 

सरकारों में समझौता तो क्यों हुआ उल्लंघन?

दरअसल पाकिस्तान में सेना का ओहदा सरकारों से भी ज्यादा बड़ा है। तभी यहां पर अक्सर तख्तापलट होता रहता है। क्योंकि पाकिस्तानी सेना एक ऐसा संगठन है जो लगभग हमेशा लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं के साथ मतभेद रखता है और उनकी शक्ति को कमजोर करने की कोशिश करता है। परवेज मुशर्रफ भी इसी विचारधारा के साथ चल रहे थे। जिन्होंने भारत के साथ समझौता होने के बावजूद अपनी सेना को भारत पर आक्रमण करने को कह दिया। 

नवाज शरीफ ने अभी ही क्यों दिया ये बयान?

अब सवाल आता है कि नवाज शरीफ ने अब ये बयान क्यों दिया है? तो विदेशी मामलों के जानकार इसका जवाब देते हैं कि वर्तमान में नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ और उनका पार्टी PMl-N की बिलावल भुट्टो की PPP के साथ गठबंधन की सरकार है। इधर जेल में बंद इमरान खान इस सरकार पर भ्रष्टाचार समेत कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में नवाज शरीफ ने खुद को और खुद की सरकार को साफ-सुथरा और लोकतांत्रिकवादी दिखाने के लिए य़े बयान दिया। ताकि दुनिया और भारत की नजरों में उनकी छवि साफ दिखाई दे। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि नवाज शरीफ के परवेज मुशर्रफ से मतभेद थे, जिसकी वजह से उन्होंने ये बयान दिया है।

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