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करोड़ों में बिकी महात्मा गांधी की पेंटिंग, जाने क्या है इसकी खासियत

लंदन में बोनहम्स नीलामी घर ने महात्मा गांधी की एक खास ऑइल पेंटिंग करीब 1.7 करोड़ रुपये में नीलाम की। यह पेंटिंग इतनी खास इसलिए है क्योंकि यह एकमात्र ऐसी पेंटिंग है जिसे खुद गांधी ने बैठ कर बनवाया था।

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भारत

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Himadri Joshi

Jul 16, 2025

Mahatma Gandhi's painting sold for crores

Mahatma Gandhi's painting sold for crores ( photo - patrika network )

लंदन में महात्मा गांधी की एक बहुत ही खास ऑइल पेंटिंग करोड़ों रुपये में नीलाम की गई है। यह पेंटिंग अपने आप में एकलौती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसे खुद माहत्मा गांधी ने बैठ कर बनवाया था। ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन की बनाई हुई यह पेंटिंग अपनी अनुमानित कीमत से तीन गुना अधिक में नीलाम हुई है। इसे बोनहम्स ने नीलाम किया है, जो कि एक प्राइवेट अंतरराष्ट्रीय नीलामी घर है। बोनहम्स को इसके 50,000 से 70,000 पाउंड (लगभग 58 लाख रुपये से 81 लाख रुपये) में नीलाम होने की उम्मीद थी लेकिन नीलामी के दौरान यह 152,800 पाउंड ( करीब 1.7 करोड़ रुपये) में बिकी। इसी के चलते यह पेंटिंग बोनहम्स के ट्रैवल एंड एक्सप्लोरेशन की ऑनलाइन बिक्री की बेस्ट सेलिंग आइटम भी बन गई है।

यह गांधी की शक्ति का एक प्रमाण

बोनहम्स की हेड ऑफ सेल रयानो ड्रेमरी ने कहा, यह विशेष कलाकृति पहले कभी नीलामी में पेश नहीं की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि यह गांधी जी की दूर-दूर तक लोगों से जुड़ने की शक्ति का एक प्रमाण है, और इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण का स्थायी दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है। ड्रेमरी ने यह भी कहा कि, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस पेंटिंग ने दुनिया भर में इतनी दिलचस्पी जगाई। उन्होंने बताया कि, यह पोर्ट्रेट क्लेयर लीटन के निधन (1989) तक उनके संग्रह में रखी हुई थी और बाद में इसे उनके परिवार को सौंप दिया गया था।

पेंटिंग पर हुआ था चाकू से हमला

ड्रेमरी ने बताया कि, 1974 में एक सार्वजनिक प्रदर्शनी के दौरान इस पेंटिंग पर चाकू से हमला किया गया था। क्लेयर लीटन के परिवार के अनुसार, कथित तौर पर एक हिंदू दक्षिणपंथी चरमपंथी ने चाकू से वार कर इस पेंटिंग को खराब करने की कोशिश की थी। इसके चलते यह तस्वीर कई जगह से खराब हो गई। बाद में इसकी मरम्मत की गई जिसके निशान इस पर कई जगह दिखाई देते है।

गांधी ने खुद कलाकार के सामने बैठ कर बनवाई थी पेंटिंग

यह पोट्रेट (तैल चित्र) एकमात्र ऐसी पेंटिंग है जिसे गांधी ने खुद से कलाकार के सामने बैठ कर बनवाया था। 1931 में जब गांधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन आए थे उस दौरान लीटन ने इसे बनाया था। राजनीतिक पत्रकार हेनरी नोएल ब्रेल्सफोर्ड ने लीटन की मुलाकात गांधी से कराई थी और फिर सुबह के समय गांधी के दफ्तर में बैठ कर लीटन ने यह पेंटिंग बनाई थी।