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RUSSIA : संविधान बदलने के पीछे ये है पुतिन की मंशा

-20 वर्ष से देश पर शासन कर रहे हैं पुतिन, 2024 में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है-अब वे न्यायपालिका पर भी नियंत्रण चाहते हैं

Mar 08, 2020 / 05:06 pm

pushpesh

RUSSIA : संविधान बदलने के पीछे ये है पुतिन की मंशा

RUSSIA : संविधान बदलने के पीछे ये है पुतिन की मंशा

जयपुर.

रूसी राष्ट्रपित व्लादिमीर पुतिन ने संविधान में बदलाव के प्रस्ताव पर अमल शुरू कर दिया है, जबकि विपक्षी दल इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि पुतिन संविधान में बदलाव कर हमेशा के लिए रूस की सत्ता में बने रहना चाहते हैं। यानी खुद को ही खुद का उत्तराधिकारी बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले महीने जब यह प्रस्ताव लाया था, तो प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि पुतिन के पास वर्ष 2000 से देश की बागडोर है और उनका मौजूदा कार्यकाल 2024 में समाप्त हो रहा है। देशभर से मिले 700 से अधिक सुझावों के बाद रूस उदार नेता बोरिस येल्तसिन युग के संविधान को पुनर्जीवित कर रहा है।
नया संविधान रूसी कानून को अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर सर्वोच्चता दे सकता है, जिसका अर्थ होगा कि यूरोपीय अदालतों में मानवाधिकारों के लिए हर वर्ष रूसी नागरिकों द्वारा की जाने वाली हजारों अपीलें व्यर्थ हो जाएंगी। इस वर्ष के शुरू में ऐसी 17 हजार 748 अपीलें अदालतों में लंबित थीं। जिनमें ज्यादातर रूसी अधिकारियों की आलोचना और अधिकारों के दुरुपयोग से जुड़ी थीं। दूसरा खतरा संवैधानिक अदालत के अनुच्छेद में ‘स्वतंत्र’ शब्द हटाने से जुड़ा है, जिससे राष्ट्रपति के पास न्यायाधीशों को हटाने के अधिकार मिल जाएगा।
आलोचक मानते हैं, सत्ता के शीर्ष पर बने रहने की चाल
पुतिन ने संधोधनों पर निर्णय लेने के लिए 75 डॉक्टर्स, राजनेता, संगीतकार, अभिनेता, फिल्म निर्माता, कारोबारी, खेल और अन्य संगठनों से जुड़े लोगों का कार्यकारी समूह बनाया है। इतिहासकार और विपक्षी राजनीतिज्ञ, व्लादिमीर रियाजकोव ने पुतिन के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा है कि यह उनकी सत्ता के शिखर में बने रहने की चाल है। इसके जरिए 2024 के बाद, पुतिन राज्य परिषद के प्रमुख के रूप में एक शक्तिशाली नेता की भूमिका निभाने का इरादा रखते हैं। संवैधानिक समीक्षा समूह के उपाध्यक्ष आंद्रेई क्लीहास का कहना है कि अब तक मिले 700 संशोधन के प्रस्ताव में अधिकांश अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर हैं। नागरिकों के मूल अधिकार और स्वतंत्रता से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। लेवाडलास्ट के एक जनमत सर्वेक्षण ने दिखाया कि 47त्न रूसी मानते थे कि पुतिन जनमत संग्रह का इस्तेमाल अपनी शक्तियों का विस्तार करने और सत्ता में बने रहने के लिए कर रहे हैं।

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