झांग ने हॉंगकॉंग बेस्ड साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि वैश्विक स्तर पर आगामी दौर खुले अर्थव्यवस्था वाला होगा। इसमें सभी को एक—दूसरे के साथ संतुलन स्थापित करने होंगे। ऐसा नहीं करने पर संरक्षणवादी नीतियां नुकसानदेह भी साबित हो सकती हैं। वर्तमान में चीन जिस स्थिति में है उसमें संतुलन बनाकर रखना चुनौतीपूर्ण काम है।
सामान्य प्रशासन सीमा शुल्क विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन का निर्यात और आयात 14.2 फीसद की दर से बढ़कर पिछले साल 27.79 ट्रिलियन यूआन हो गया था। सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार पिछले दो वर्षों से इसमें लगातार गिरावट जारी है। इस बीच चीन का निर्यात 10.8 फीसद की बढ़ोतरी से 15.33 ट्रिलियन युआन तक पहुंच गया है। जबकि आयात में 18.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और इसका आकार बढ़कर 2017 में 12.46 ट्रिलियन युआन हो गया है। 2017 में चीन का निर्यात 14.2 फीसद गिरावट के साथ निर्यात सरप्लस 28.25 खरब रुपए हो गया है। जबकि 2016 में 9.1 फीसद की ही गिरावाट आई थी और उस समय निर्यात सरप्लस 33 खरब रुपए था।
2010 में पहली बार चीन जर्मनी को पछाड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया था। पिछले सात साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि जर्मनी को चीन ने पीछे छोड़ा हो। जर्मनी और चीन के बीच बड़े पैमाने पर व्यापारिक संबंध हैं। उस समय चीन की सरकारी एजेंसी सिन्हुआ ने जानकारी दी थी कि 2009 में चीन का कुल निर्यात 749 अरब डॉलर का रहा था जो बढ़कर 2017 में 151 खरब रुपस पहुंच गया है लेकिन लगातार निर्यात और आयात में सरंप्लस में कमी चीन के चिंता का विषय बनता जा रहा है।