
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वायु सेना के लिए अमेरिका से 18645 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए 10 अत्यंत भारी मालवाहक विमानों सी-17 ग्लोबमास्टर के लिए जरूरी आधारतभूत सुविधाओं को बनाने तथा पायलटों के प्रशिक्षण के लिए सिमुलेटर लगाने में देरी के लिए सरकार की खिंचाई की है।
कैग ने मंगलवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन सुविधाओं में देरी के कारण इस भारी भरकम और बहुपयोगी विमान का पूरा फायदा नहीं उठाया जा रहा है। जमीनी उपकरणों की कमी और उचित रनवे नहीं होने के कारण भी इस विमान का वायु सेना को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विमान में हमेशा एक 13 टन वजन का 'फोर्क लिफ्टर' रखना पड़ता था जो सामान रखने की 35 प्रतिशत जगह को घेर लेता है। यह लिफ्टर इसलिए रखा जाता है क्योंकि विमान के उतरने की सभी यूनिटों पर इसमें सामान लादने और उतारने की सुविधा नहीं है। इसी कारण इस विमान को एक ही स्थान से दिन में दो बार उड़ान भरनी पड़ी है। इस विमान की एक उड़ान पर 43 लाख रुपये प्रति घंटे से अधिक की लागत आती है।
कैग ने इस विमान के बेवजह उपयोग पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि 70 टन पे लोड की ले जाने की क्षमता वाले विमान का इस्तेमाल 26 टन भार ले जाने के लिए भी किया गया जो मूल्यवान राष्ट्रीय परिसम्पत्ति का अनुचित उपयोग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान के लिए हैंगर, रैम्प, टैक्सीवे, भंडारण, रख-रखाव और पैराशूट पैकिंग आदि की सुविधा जून 2013 में तैयार की जानी थी लेकिन ये अब तक नहीं बनायी गयी है।
Published on:
26 Jul 2016 07:56 pm
