
जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा भड़क उठी। हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए सीआरपीएफ को पैलेट गन समेत नॉन लिथेल वेपन्स का इस्तेमाल करना पड़ा। पैलेट गन से हुई इंजरी को लेकर आलोचनाएं झेल रहे सुरक्षाबलों ने इस पर खेद प्रकट किया है। सीआरपीएफ के डीजी के दुर्गा प्रसाद ने सोमवार को कहा कि पैलेट गन से घायल होने वाले नौजवानों के लिए हम दुख महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि आगे इस हथियार का विकट परिस्थितियों में सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाएगा। साथ ही आशा जताई की भविष्य में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न न हो।
सीआरपीएफ के एनुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे डीजी प्रसाद ने कहा कि हम स्वंय से बहुत विषम परिस्थितियों में पैलेट गन के इस्तेमाल की कोशिश करते हैं, जिससे इंजरीस कम से कम हो। हम इन्हें एक्सट्रीम कंडीशन्स में यूज करते हैं जब भीड़ काबू से बाहर हो जाती है। उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों को इमोशन न होने के लिए और ऐसी स्थिति से तर्कसंगत तरीके से निपटने के लिए ट्रेंड किया जाता है। उन्होंने कहा कि पैलेट गन लीथल (जानलेवा) हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र ऐसा राज्य है जहां जवानों पर इस तरह का पथराव किया जाता है और ऐसे में जब परिस्थति काबू से बाहर हो जाती है तो जवानों को पैलेट गन का उपयोग करना पड़ता है।
घाटी में क्यों चलानी पड़ी पैलेट गन
डीजी ने बताया कि सभी सुरक्षाबलों को निर्देश दिए जाते हैं कि कश्मीर में पैलेट गन का इस्तेमाल किए जाने के दौरान इसे घुटने के नीचे के हिस्से पर चलाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जवानों को सामने से गन को तब चलाना पड़ा जब प्रदर्शनकारी करीब आ गए, ऐसे में जान जाने की भी आशंका थी। उन्होंने बताया कि हम कम खतरनाक कैटेगरी में आने वाले दूसरे हथियारों का भी एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। इसमें अमेरिका में यूज किया जाने वाला एक वेपन भी शामिल है।
पैलेट गन को लेकर आलोचनाएं
गौरतलब है कि घाटी में पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर जमकर आलोचनाएं हो रही है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, मैं कश्मीर के युवाओं से कहना चाहूंगा कि वे पथराव में शामिल न हों। साथ ही सिक्युरिटी फोर्सेज से भी कहता हूं कि वे पैलेट गन का इस्तेमाल जहां तक संभव हो न करें।' साथ ही उन्होंने एक संसदीय कमेटी के गठन की बात कही थी, जो गन के यूज को लेकर रिव्यू करेगी और उसका कोई अल्टरनेटिव भी खोजेगी।
पैलेट गन को लेकर क्यों हैं चर्चा
कुछ दिन पहले हुए विरोध में प्रदर्शनकारियों के चेहरे और आंखों में पैलेट गन के छर्रे लगने से भारी नुकसान पहुंचा। इसके बाद अलगाववादी घाटी में इसे बैन करने की मांग कर रहे थे। सिक्युरिटी फोर्सेस ने कश्मीर में आतंकवाद के सपोर्ट में होने वाली हिंसा और प्रदर्शनों को काबू करने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं। पहली बार 2010 की हिंसा के दौरान इसका इस्तेमाल हुआ था।
पैलेट गन क्या है?
ये पंप करने वाली बंदूक होती है जिसमें कई तरह के कारतूस इस्तेमाल होते हैं। कारतूस 1 से 12 के रेंज में होते हैं, एक को सबसे तेज़ और ख़तरनाक माना जाता है। इसका असर काफ़ी दूर तक होता है। पैलेट गन से फायर किए गए एक कारतूस में 500 तक रबर और प्लास्टिक के छर्रे हो सकते हैं। फायर करने के बाद कारतूस हवा में फूटते हैं और छर्रे एक जगह से चारों दिशाओं में जाते हैं।
Published on:
26 Jul 2016 01:23 pm
