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सार्क देशों को PM मोदी का तोहफा: ISRO आज लॉन्च करेगा जीसैट-9, उलटी गिनती शुरू

लगभग 2230 किलोग्राम वजनी जीसैट-09 उपग्रह में 12 केयू बैंड ट्रांसपोंडर हैं जिसकी सेवाएं भारत के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव को मिलेगी।

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कोटा

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Punit Kumar

May 05, 2017

South Asia Satellite

South Asia Satellite

दक्षिण एशियाई देशों के लिए भारत की ओर से उपहार में दिए जाने वाले उपग्रह जीसैट-09 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती गुरुवार दोपहर 12:57 बजे शुरू हो गई थी। जिसके बाद इस अत्याधुनिक संचार उपग्रह को भूस्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एफ-09 से शुक्रवार शाम 4:57 बजे छोड़ा जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक (जनसंपर्क) देवीप्रसाद कार्णिक ने बताया कि 28 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और निर्बाध जारी है। तैयारियां आशानुरूप हैं और श्रीहरिकोटा के दूसरे लांच पैड से जीएसएलवी शुक्रवार शाम 4:57 बजे उड़ान भरेगा। प्रक्षेपण के बाद उपग्रह जीएसएलवी जीसैट-09 को को भू-स्थिर अंतरण कक्षा (जीटीओ) में पहुंचाएगा जहां से कक्षा परिवर्तनों के जरिए उसे ऑपरेशनल भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

गौरतलब है कि लगभग 2230 किलोग्राम वजनी जीसैट-09 उपग्रह में 12 केयू बैंड ट्रांसपोंडर हैं जिसकी सेवाएं भारत के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव को मिलेगी। तो पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है। इस उपग्रह की निर्माण लागत लगभग 235 करोड़ रुपए हैं। इस उपग्रह को 12 साल के मिशन पर भेजा जा रहा है।

जीएसएलवी की 11 वीं उड़ान

आपको बतादें कि इसरो का नव विकसित रॉकेट जीएसएलवी 11 वीं बार उड़ान भरेगा। स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ यह लगातार चौथी उड़ान होगी। पिछली बार जीएसएलवी की उड़ान 8 सितंबर 2016 को हुई थी , जो पूरी तरह सफल रही और इनसैट-3डीआर को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। जीएसएलवी की पहली उड़ान रूसी क्रायोजेनिक इंजन के साथ अप्रेल 2001 में हुई थी जो विफल रही थी।

तो वहीं साल 2001 से लेकर वर्ष 2015 तक इन 14 सालों के दौरान जीएसएलवी ने 8 और उड़ानें भरीं। इन आठ उड़ानों में पांच रूसी क्रायोजेनिक इंजन के साथ और तीन स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ हुई । इनमें से चार अभियान पूरी तरह विफल रहे जबकि एक अभियान में आंशिक सफलता मिली।

रूसी क्रायोजेनिक इंजन के साथ जीएसएलवी की उड़ान में पहली सफलता वर्ष 2003 में मिली थी। वहीं स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ सफलता का पहला स्वाद इसरो ने 2014 में चखा। गौरतलब है कि इसरो ने यह उपग्रह पीएम नरेंद्र मोदी के कहने पर तैयार किया है। जो पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार होगा।

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