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दिल्ली सरकार के विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका

 गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने दिल्ली सरकार के विज्ञापनों को लेकर सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कॉमन कॉज की ही याचिका पर शीर्ष अदालत ने सरकारी खर्चे पर नेताओं का महिमामंडन न करने का फैसला दिया था।

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vijay morya

Jul 15, 2015

गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज ने दिल्ली सरकार के विज्ञापनों को लेकर सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कॉमन कॉज की ही याचिका पर शीर्ष अदालत ने सरकारी खर्चे पर नेताओं का महिमामंडन न करने का फैसला दिया था।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस नेता अजय माकन की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, लेकिन यह एक अवमानना याचिका है जो मामले के मूल याचिकाकर्ता की तरफ से दाखिल की गई है।



वकील प्रशांत भूषण के जरिये दाखिल अवमानना याचिका में कॉमन कॉज ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का गुणगान करने वाले दिल्ली सरकार के विज्ञापनों का हवाला दिया है। याचिका में कहा गया है कि ये विज्ञापन न्यायालय के आदेश का सीधा उल्लंघन है। अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि सरकारी खर्चे पर प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों का मकसद लोगों तक •ारूरी जानकारी पहुंचाना है।


इनका इस्तेमाल किसी नेता की छवि चमकाने के लिए नहीं किया जा सकता। याचिका के मुताबिक दिल्ली सरकार इस तरह से विज्ञापन कर रही है जैसे कोई पार्टी चुनाव अभियान चला रही हो। सरकारी पैसे का इस्तेमाल राजनीतिक दल के फायदे के लिए न करने के आदेश का भी ये उल्लंघन है।

याचिका में तमिलनाडु सरकार के ऊपर भी अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में बताया गया है कि राज्य में अन्नाद्रमुक सरकार के चार साल पूरे होने पर सरकार ने मुख्यमंत्री जयललिता की तस्वीर के साथ अखबारों में विज्ञापन छपवाए हैं।