जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ एक अभियान की अगुवाई करते हुए शहीद होने वाले सेना के कैप्टन पवन कुमार दिल्ली की उसी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की डिग्री थी, जहां गत दिनों छात्रों ने देशविरोधी नारे लगाए थे।
इत्तेफाक देखिए कि पवन का जन्म आर्मी डे (15 जनवरी) के दिन हुआ था और वह उस जाट समुदाय से ताल्लुक रखते थे, जो आरक्षण की मांग को लेकर हरियाणा में हिंसा कर रहा है और उन्हें रोकने के लिए सेना को उतारा गया है।
JNU से ली थी डिग्री, जाट थे पवन कुमार उनके पिता राजबीर सिंह ने कहा, 'मैंने अपना इकलौता बेटा देश पर न्योछावर कर दिया। वह सेना के लिए ही बना था।' राजबीर सिंह को देश के लिए जान कुर्बान करने वाले अपने इकलौते बेटे की शहादत पर गर्व है।
उन्होंने कहा, 'वह सेना दिवस (15 जनवरी 1993) के दिन पैदा हुए थे और उनकी किस्मत में शुरू से सेना ही थी।' एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, पवन जेएनयू के डिग्री होल्डर हैं। कैप्टन पवन कुमार हरियाणा के जींद से थे और उन्होंने 3 साल पहले ही सेना जॉइन की थी।
किसी को कोटा चाहिए, किसी को आजादी...
रविवार को जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पम्पोर में एक सरकारी इमारत में छिपे आतंकियों के खिलाफ अभियान में वह शहीद हो गए। इस अभियान में सेना के एक अन्य कैप्टन तुषार महाजन और जवान ओम प्रकाश भी शहीद हुए हैं। इनके अलावा सीआरपीएफ के 2 जवान भी शहीद हुए हैं।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि पवन ने सेना में अपने 3 साल की सर्विस में साबित किया कि वह बहुत बहादुर और निडर अधिकारी थे, लेकिन उनमें परिपक्वता उम्र से कहीं ज्यादा थी। पवन कुमार का लास्ट फेसबुक पोस्ट था, 'किसी को आरक्षण चाहिए, किसी को आजादी, मुझे चाहिए बस मेरी रजाई।'