राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किए जाने के बाद तमिलनाडु सरकार ने सातों हत्यारों की रिहाई का फैसला किया था, लेकिन केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद शीर्ष अदालत ने नौ जुलाई 2014 को सभी राज्य सरकारों को ऐसे हत्यारों की सजा माफ करने से रोक दिया था।