
उत्तर प्रदेश विधानसभा में PETN विस्फोटक मिलने के बाद हड़कंप मच गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एफएसएल की रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि 500 ग्राम PETN विस्फोटक पूरे भवन को उड़ा सकता था। इससे समझा जा सकता था कि ये विस्फोटक कितना खतरनाक है।
PETN (Pentaerythritol tetranitrate) को बड़ा खतरा इसलिए माना जाता है क्योंकि इसकी 50 से 100 ग्राम मात्रा एक कार या एक कमरे को उड़ाने के लिए पर्याप्त मानी जाती है। आतंकियों द्वारा इसे पसंद करने का सबसे बड़ा कारण है कि ये आसानी से पकड़ में नहीं आ पाता है। मेटल डिटेक्टर से खोजी कुत्ते तक PETN को पकड़ने में गच्चा खा जाते हैं। इसका कारण है कि ये गंधहीन सफेद पाउडर होता है। साथ ही ये प्लास्टिक की त्वचा जैसा होता है जो कि मेटल डिटेक्टर की पकड़ में भी नहीं आता।
विशेषज्ञों के मुताबिक ये डेटोनेटर के साथ बड़ा धमाका कर सकता है। इसका इस्तेमाल कुछ दवाआें में बहुत कम मात्रा में किया जाता है। यही कारण है कि यह आसानी से मिल भी जाता है। सफेद रंग का ये पाउडर इतना खतरनाक होता है कि इसे दुनिया के सबसे खतरनाक चार-पांच विस्फोटकों में से एक माना जाता है। ये चीनी की तरह सफेद होता है।
कब कब हुआ PETN का इस्तेमाल
- इसका उत्पादन पहली बार 1912 में शुरू हुआ आैर प्रथम विश्वयुद्घ के वक्त जर्मन सेना ने इसका पहली बार इस्तेमाल किया था। हालांकि अब इसके बारे में आतंकी साजिशों के वक्त ही ज्यादा सुनने को मिलता है।
- 2011 में दिल्ली हार्इकोर्ट धमाके काे लेकर ये आशंका जतार्इ गर्इ थी कि यहां पर पीर्इटीएन का इस्तेमाल किया गया है।
- 2009 में नाॅर्थवेस्ट एयरलाइंस के विमान को उड़ाने की साजिश भी इसी विस्फोटक के इस्तेमाल से अंजाम दी गर्इ थी। बताया जाता है कि उस वक्त अलकायदा आतंकी ने अपने कपड़ों में छुपाकर विस्फाेटक को विमान तक पहुंचाया था।
- 2010 में यमन से अमरीका जा रहे विमान को उड़ाने के लिए साजिश रची गर्इ थी। इस नाकाम साजिश में भी इसी विस्फोटक का नाम आया था।
- PETN को सेना आैर माइनिंग के कामों में भी प्रयोग किया जाता है।
हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 12 जुलार्इ को सफेद पाउडर मिला गया था। इस पाउडर को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। जहां पर पता चला कि यह प्लास्टिक एक्सप्लोसिव है। इसे उस जगह पर पाया गया जहां पर सभी पार्टियों के नेता बैठते हैं।
Published on:
14 Jul 2017 02:33 pm
