
मध्यप्रदेश के बडवानी जिले के सेंधवा स्थित शासकीय सिविल अस्पताल में 'एनेनसेफेली' विकृति के साथ पैदा हुए शिशु को सुरक्षा और बेहतर चिकित्सा के मद्देनजर जिला अस्पताल के 'विशेष नवजात गहन चिकित्सा इकाई' एसएनसीयू में भर्ती कराया गया है।
शासकीय सिविल अस्पताल सेंधवा के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी डा. जेपी पंडित ने बताया कि कामोद ग्राम की (20) वर्षीय किरमा बाई को 10 जुलाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चाचरिया से सेंधवा रेफर किया गया था।
11 जुलाई को सीजेरियन ऑपरेशन के जरिये पैदा हुए उसके 2 किलोग्राम वजनी नवजात में एनेनसेफेली नामक विकृति पाई गई थी। उन्होंने बताया कि मां द्वारा गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में फोलिक एसिड के सेवन न करने के चलते शिशु में आने वाली इस विकृति में खोपड़ी और मस्तिष्क का अधिकांश भाग उपस्थित नहीं होता है।
इस विकृति के साथ पैदा हुए शिशुओं में सुनने, देखने, समझने, बोलने और दर्द महसूस करने की क्षमता का अभाव होता है तथा ये ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि इस शिशु की धड़कनें लगभग सामान्य थीं और हाथ पैरों और आंखों में कुछ हलचल भी थी किन्तु उसके परिजन उसके अजीबोगरीब चेहरे और असामान्य होने के चलते उसे अपनाने में हिचकिचा रहे थे।
डॉ. पंडित ने बताया कि इसी बीच जब यह बात सामने आई कि नवजात शिशु को रात में बिना अनुमति बाहर ले जाकर जिंदा दफनाने की भी घटना हो सकती है तो उसे सुरक्षित रखने और बेहतर चिकित्सा के लिए जिला अस्पताल भेजने का निर्णय लिया गया।
Published on:
15 Jul 2015 03:13 am
