आगरा

IPS और IAS अधिकारियों को चेतावनी है SP सुरेन्द्र दास की आत्महत्या

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर बता रहे हैं कि आत्महत्या के पीछे छिपे कारण।

आगराSep 09, 2018 / 07:51 pm

Bhanu Pratap

surendra das

आगरा। कानपुर के पुलिस अधीक्षक पूर्वी सुरेन्द्र दास ने चूहे मारने वाला जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के मूल में पत्नी डॉ. रवीना से झगड़ा है। झगड़ के मूल में शक है। कहा तो यह जाता है कि शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था, लेकिन मनोचिकित्सक कहते हैं कि इलाज है। इसके साथ ही उच्च पदों पर विराजमान अफसरों के लिए सुरेन्द्र दास की मौत चेतावनी की तरह है। खासतौर पर उनके लिए जो आईएएस और आईपीएस सेवा के अधिकारी हैं और दिन-रात काम में लगे रहते हैं।
यह भी पढ़ें

गाड़ी में बिठाने के बाद सवारियों को बना देते थे भिखारी, पुलिस ने दबोचा तो हुआ ये बड़ा खुलासा

बात कब बिगड़ती है

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर बताते हैं- शादी के बाद दो परिवारों का मिलन होता है। जब दो लोग एक से नहीं हो सकते हैं तो दो परिवार एक से कैसे हो सकते हैं? दोनों की मान्यताओं में भिन्नता होती है। दोनों हर बिन्दु पर सहमत हों, यह संभव नहीं है। दोनों भिन्न हैं। दोनों की सामाजिक मान्यताओं के समझने के लिए समय देना होता है। समय का अभाव होने से पार्टनर का मन विचलित होता है। उसे लगता है कि मुझ पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इसका मतलब किसी से चक्कर चल रहा है। बस यहीं से बात बिगड़नी शुरू हो जाती है।
यह भी पढ़ें

वीडियो: दहेज न मिलने पर ससुरालीजनों ने विवाहिता की पीट—पीटकर कर दी हत्या, मायका पक्ष ने उठाया ये कदम

 

ऊंचे पदों पर बैठ अफसरों के सामने प्रमुख समस्या

आईपीएस अधिकारी को सुबह से शाम तक कोई होश नहीं रहता है। जनता को लगता होगा कि आईपीएस की नौकरी मजे की है, लेकिन यह ठीक उसी तरह है जैसे दूर से चन्द्रमा अच्छा लगता है। चन्द्रमा पर जाइए तो वहां पानी तक नहीं है। आईपीएस अधिकारी जब स्वयं काम के दबाव से अवसाद में है, तो पत्नी को जरूरत के हिसाब से समय नहीं देना संभव नहीं होता है। जब पत्नी क्लेश करे तो अधिक समय देना होता है। ऊंचे पदों पर बैठे लोग हर बात हर किसी से शेयर नहीं कर सते हैं, जिससे अवसाद बढ़ जाता है। कार्य का दबाव है ही। इससे व्यक्ति आत्महत्या की ओर प्रेरित हो जाता है। यही सुरेन्द्र दास के साथ हुआ।
यह भी पढ़ें

ग्रांड पेरेंट्स डे विशेष: दादा—दादी के आशीर्वाद से बना आईएएस, अब करना चाहता है जरूरतमंदों की सेवा, देखें वीडियो

संबंध पटरी पर लाने के लिए क्या करें

डॉ. राठौर ने बताया कि शक करना सामान्य बात है और बीमारी भी है। यह तो संबंधित व्यक्ति के परीक्षण से ही ज्ञात हो सकता है कि बीमारी है या नहीं। अगर बीमारी है तो उसका इलाज भी है। वैसे कुछ लोगों का व्यक्तित्व होता है शक करना। कुछ लोगों की आदत है एक ही बात को 10 बार पूछना। न बताओ तो सोच बना लेते हैं कि कुछ छिपा रहे हैं। ऐसी हालत में संबंध खराब होने लगते हैं। जब संबंध खराब हों तो उन्हें पटरी पर लाने के लिए अधिक समय देना होता है। आईपीएस सुरेन्द्र दास के बारे में बता करें तो प्राथमिक तौर पर यह कहा जा सकता है कि अगर शक सही होता तो वे आत्महत्या जैसा बड़ा कदम नहीं उठाते।
यह भी पढ़ें

SC ST Act: ठाकुरों के 22 गांव की महापंचायत में हुआ बड़ा फैसला, देवकीनंदन ठाकुर 11 सितंबर को करेंगे बड़ा ऐलान

परिवार का समय दें

उन्होंने कहा कि आज हाल यह है कि आईपीएस और आईएएस अधिकारियों से जनता की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं। नीचे और ऊपर दोनों ओर से दबाव है। ऐसे में परिवार को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं। आईपीएस और आईएएस 10 से 5 बजे तक काम नहीं करते हैं। उन्हें रात के दो बजे तक काम करता होता है। घर में बैठकर भी वायरलेस सुनते रहते हैं। जरूरत इस बात की है कि जब ऐसी हालत हो तो छुट्टी लेकर परिवार के साथ समय बिताइए। समय का कोई शॉर्टकट नहीं है। सामान्य से लेकर शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को समय देना है। शीर्ष पर बैठे व्यक्ति का समय बहुत कीमती है इस कारण समय नहीं देते हैं और इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं।
यह भी पढ़ें

बदायूं में हो रही मौतों की ये है वजह, स्वास्थ्य विभाग अब तक रहा बेखबर

 

Home / Agra / IPS और IAS अधिकारियों को चेतावनी है SP सुरेन्द्र दास की आत्महत्या

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.