
गांधीनगर. गुजरात राज्य के पांच पुलिस अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के रूप में चयन किया गया है। इनमें नरेन्द्र के. अमीन, एस. वी. परमार, ए.एम. मुनिया, मयूर जे. चावड़ा व उषा वी राडा शामिल हैं।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सेलेक्शन कमिटी के आधार पर गुजरात पुलिस के इन अधिकारियों को आईपीएस के रूप में मंजूरी दी है।
इन पुलिस अधिकारियों में अमीन पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं वहीं परमार बोटाद जिले के पुलिस अधीक्षक हैं। मुनिया डांग जिले के पुलिस अधीक्षक, चावड़ा खुफिया विभाग-गांधीनगर में एसपी के रूप में कार्यरत हैं, वहीं महिला पुलिस अधिकारी राडा महीसागर जिले की पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में कार्यरत हैं।
सेवानिवृत्त हो चुके इशरत मुठभेड़ प्रकरण में लिप्त अमीन को आईपीएस के लाभ मिलेंगे। हालांकि उन्हें इस सूची में अस्थायी रूप से शामिल किया गया है। यह चयन उनके खिलाफ लंबित आपराधिक प्रक्रिया के निस्तारण के अधीन होगा।
बस से 24 मृत सहित 153 तोते जैसे पक्षी मिले, 3 आरोपी हिरासत में
अहमदाबाद. शहर के माधुपुरा नमस्ते चौराहे पर दिल्ली से अहमदाबाद की ओर आने वाली लक्जरी बस की डिकी से वन विभाग ने 153 तोते जप्त किए। वन विभाग की टीम ने बस की जांच पर दो अलग-अलग पिंचडों में ठूंस कर भरे गए पहाड़ी तोते के 105 बच्चे तथा 48 सूडा तोते मिले। 48 सूडा तोते में 24 मृत हैं।
जीवित पक्षियों के उपचार के लिए कार्रवाई आरंभ कर दी गई है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत पक्षियों के गैरकानूनी शिकार, खरीद-बिक्री के अपराध दर्ज कर 3 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। इन पक्षियों को दिल्ली से गैरकानूनी रूप से सप्लाई करने वाले तथा अहमदाबाद में खरीदने वाले लोगों के बारे में जांच आरंभ की गई है।
तोते जैसे पक्षियों को गैरकानूनी रूप से पिंजड़े में रखने के कारण शिकारियों की ओर से पक्षियों व उनके बच्चों को क्रूरतापूर्वक पकड़ कर गैरकानूनी बिक्री को प्रोत्साहन मिलता है। वन संरक्षण अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार के तोते, कछुए सहित अन्य संरक्षित वन्य प्राणियों के गैरकानूनी रूप से बांधे रखने पर प्रतिबंध है।
Published on:
13 Apr 2018 11:59 pm
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