
Gujarat News देश में आज भी 40 फीसदी खाद करना पड़ता है आयात: मांडविया
अहमदाबाद. केन्द्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पिछले दो साल से वैश्विक खाद (यूरिया) संकट के दौर में भी केन्द्र सरकार ने किसानों पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं पडऩे दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद की कीमत बढ़ाने के बजाय खाद के लिए 2.5 लाख करोड़ का बजट बनाया जिससे 2500 से 3000 रुपए की यूरिया की बोरी किसानों को 266 रुपए में ही मिलती रही।
मांडविया रविवार को इंडियन पोटाश कंपनी के अहमदाबाद के कार्यालय के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश में आज भी 650 लाख टन खाद की जरूरत में से 40 फीसदी यानी करीब 200 से 250 टन खाद आयात करना पड़ता है। वहीं पोटाश में शत-प्रतिशत आयात करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में भारत ने खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का संकल्प लेते हुए वैकल्पिक यूरिया की ओर आगे बढऩा शुरू किया है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में खाद उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना शामिल है। यह बड़ी चुनौती है, लेकिन जिस तरह भारत ने दुनिया को कोविड के समय प्रबंधन कर दिखाया, उसी तरह इस क्षेत्र में भी कामयाब होंगे।
कोविड काल की चर्चा कर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के 200 करोड़ कोविड डोज के प्रबंधन से दुनिया प्रेरणा ले रही है। उसी तरह पिछले दो साल में वैश्विक खाद संकट के दौर भी भारत बेहतर प्रबंधन करने में सफल रहा। दुनिया के लोगों को अनुमान था कि भारत में खाद के संकट पर किसान सडक़ों पर आएंगे, लेकिन इस दौरान न तो देश में खाद की कमी हुई और ना ही खाद की कीमत ही बढऩे दी गई।
उन्होंने कहा कि खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भता की दिशा में भारत आगे बढ़ चुका है। देश में नैनो यूरिया पर शोध हुआ और आज प्रतिदिन एक लाख नैनो यूरिया बोतल का उत्पादन हो रहा है। देश को नैनो यूरिया की ओर जाना है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में बड़ी मात्रा में नैनो यूरिया की बिक्री शुरु हो चुकी है। उन्होंने गुजरात के व्यापारियों को भी नैनो यूरिया के बेचने की सलाह दी। इस अवसर पर इंडियन पोटाश कंपनी के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
Published on:
02 Oct 2022 10:00 pm
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