Salim Durrani,, Former Cricketer,, Jamnagar, Gujarat
1Ex Cricketer Salim Durrani passed away in Jamnagar at the age of 88
उदय पटेल.
अहमदाबाद. बीते जमाने के बेहतरीन क्रिकेटर रहे सलीम अजीज दुर्रानी का रविवार को लंबी बीमारी के बाद जामनगर में निधन हो गया। 88 वर्षीय दुर्रानी क्रिकेट के खेल में दर्शकों की मांग के अनुरूप सिक्सर लगाने के लिए जाने जाते थे। बाएं हाथ के इस शानदार क्रिकेटर की खासियत थी कि वे गेंद व बल्ले से मैच को बदलने का माद्दा रखते थे। भारतीय क्रिकेट के वे ऐसे एकमात्र खिलाड़ी रहे जिनका जन्म अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हआ। 11 दिसंबर 1934 को जन्मे सलीम के पिता अब्दुल अजीज भी एक अच्छे क्रिकेटर थे।
1953 में उन्होंने सौराष्ट्र की टीम से रणजी ट्रॉफी खेलना आरंभ किया, हालांकि वह दूस रे वर्र्ष ही सौराष्ट्र छोड़कर गुजरात की ओर से रणजी ट्रॉफी खेलने लगे। 1956 में उदयपुर के महाराजा के विशेष निमंत्रण पर उन्होंने राजस्थान से रणजी ट्रॉफी खेलना शुरू किया। आखिरकार 1960 में उन्हें भारतीय क्रिकेट की ओर से हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम की ओर से मैच खेलने का मौका मिला। 1 जनवरी 1960 को उन्हें टेस्ट कैप मेला। 1961-62 के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में दुर्रानी ने शानदार प्रदर्शन किया। भारत ने कोलकाता और मद्रास में खेले गए क्रमश:चौथा और पांचवा टेस्ट मैच जीत लिया।
इसके साथ ही भारत ने टेस्ट सीरीज में पहली बार इंग्लैंड के खिलाफ जीत दर्ज की। इस कामयाबीमें दुर्रानी की अहम भूमिका रही। कोलकाता टेस्ट में उन्होंने 8 विकेट लिए जबकि मद्रास में उन्होंने 10 विकेट लिए थे।
वर्ष 1971 में वेस्टइंडीज के पोर्ट ऑफ स्पेन में भारत की वेस्टइंडीज पर मिली ऐतिहासिक जीत में भी उनका अहम योगदान रहा। दूसरे टेस्ट मैच में दुर्रानी ने क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स का विकेट सस्ते में झटका। जिस कारण भारत वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच जीत गया और साथ ही वेस्टइंडीज के खिलाफ पहली सीरीज भी जीती।
पहले क्रिकेटर जिन्हें मिला अर्जुन अवार्ड
दुर्रानी को वर्ष 1962 में अर्जुन अवॉर्ड मिला, यह किसी क्रिकेटर को दिया गया पहला अर्जुन पुरस्कार था। बेहतरीन स्वभाव के होने के चलते उन्हें साथी क्रिकेटर प्रिंस के नाम से बुलाते थे।
नो दुर्रानी नो टेस्ट
1972 -73 के चौथे टेस्ट मैच में दुर्रानी को भारतीय टीम से हटा दिया गया, तब कानपुर टेस्ट मैच में नो दुर्रानी नो टेस्ट का बैनर लगाया गया। टीम मैनेजमेंट को न चाहते हुए भर्रा दुर्रानी को टीम में शामिल करना पड़ा। शायद क्रिकेट जगत के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब दर्शकों की मांग
पर किसी खिलाड़ी को टीम में लेने के लिए टीम मैनेजमेंट को मजबूर होना पड़ा। टेस्ट क्रिकेट के उस जमाने में जिस ओर से वी वांट सिक्सर की मांग होती थी उस तरफ दुर्रानी सिक्सर लगाने से नहीं चूकते थे। टेस्ट इतिहास में दुर्रानी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने दर्शकों की फरमाइश पर सिक्सर लगाया। इस कारण वे भारतीय दर्शकों में भी काफी मकबूल रहे।
29 टेस्ट मैच खेले
1960 से लेकर 1973 के बीच उन्होंने 29 टेस्ट मैच खेले। इनमें 50 पारियों में 25 की औसत से उन्होंने 1202 रन बनाए। इसमें 1962 में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक शतक भी शामिल है। उन्होंने 75 विकेट भी लिए और 14 कैच भी पकड़े। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 8543 रन बनाए। इनमें 14 शतक और 45 अर्धशतक के साथ-साथ 884 विकेट, 144 कैच और चार स्टंपिंग भी शामिल है। वे 2018 में चेन्नई में भारत व अफगनिस्तान के बीच पहले टेस्ट मैच को देखने स्टेडियम में पहुंचे थे।
परवीन बॉबी के साथ की फिल्म
क्रिकेट की दुनिया से अलग उन्होंने सिल्वर स्क्रीन की ओर भी रूख किया। 1973 में आई फिल्म चरित्र में अभिनेत्री परवीन बॉबी के अपोजिट लीड रोल में थे। हालांकि सिनेमाई पर्दे पर वे खास मकबूल नहीं हुए।
कुछ क्रिकेटरों के मुताबिक वे आज के क्रिकेट के फटाफट दौर में खेल रहे तो वे कुछ अलग ही समां होता।
मोदी सहित क्रिकेटरों ने शोक व्यक्त किया
दुर्रानी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई राजनेताओं के साथ-साथ पूर्व क्रिकेटरों और वर्तमान क्रिकेटर ने भी शोक जताया।
अपनी स्टाइल से दर्शकों को आकर्षित करते
वे भारतीय टीम के एक महान खिलाड़ी थे। वे एक ऐसे लेजेंड थे जो अपनी स्टाइल से दर्शकों को आकर्षित करते थे। वे एक एंटरटेनर थे जिसे सभी लोग पसंद करते थे।
किरण मोरे,पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई के पूर्व मुख्य चयनकर्ता