पांडे ने बताया कि संस्थान की ओर से वर्ष २०१७ से सीएस फाउंडेशन से लेकर एक्जीक्यूटिव और प्रोफेशनल कोर्स में बदलाव किया है। बदलाव के बाद तीन मौके पुराने कोर्स के विद्यार्थियों को देने होते हैं। दिसंबर २०१९ की परीक्षा उनके लिए अंतिम है। उसके बाद उन्हें अनिवार्य रूप से नए कोर्स की पढ़ाई करनी पड़ेगी। इस समय सीमा को बढ़ाने का संस्थान का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को राहत देने के लिए संस्थान ने परीक्षा में एक दिन का अंतराल रखने का निर्णय किया है। जिसके तहत दो मॉड्यूल में से एक मॉड्यूल की परीक्षा एक दिन और दूसरे की दूसरे दिन लेने का निर्णय किया है।
पांडे ने बताया कि आईसीएसआई की ओर से दिए गए सुझाव को सरकार ने मान्य रखते हुए कंपनी एक्ट संसोधन विधेयक में सीएसआर फंड के असर के मूल्यांकन को मंजूरी दी है।
वे इसके लिए गठित टास्क फोर्स के सदस्य थे। नए संशोधन के तहत सीएसआर फंड उसके खर्च, उसके इम्पैक्ट की एक स्वतंत्र प्रोफेशनल की ओर से ऑडिट की जाएगी। इस ऑडिट के लिए सीए, कॉस्ट एकाउंटेंट के साथ सीएस को भी मंजूरी देने की मांग की है। इसके अलावा सीएसआर फंड का उपयोग इनोवेशन और स्टार्टअप को मदद करने में भी करने का सुझाव दिया है। कंपनी सचिव भी जीएसटी का ऑडिट कर सकें उसकी मंजूरी सरकार से मांगी है।