scriptबारामती में ननद-भौजाई आमने-सामने, पीएम मोदी ने की शरद पवार के घर पर पॉलिटिकल स्ट्राइक | Sister-in-law and brother-in-law face to face in Baramati, PM Modi conducts political strike on Sharad Pawar's house | Patrika News
राष्ट्रीय

बारामती में ननद-भौजाई आमने-सामने, पीएम मोदी ने की शरद पवार के घर पर पॉलिटिकल स्ट्राइक

Lok Sabha Elections 2024 : इस बार देश की सबसे हॉट सीट बनी बारामती में राजनीतिक गुणा-भाग के सारे गणित आकर चक्कर खा जाते है। यहां ननद का भौजाई से मुकाबला है तो चाचा और भतीजा आमने-सामने हैं। एक ही पार्टी के दो फाड़ हो चुके हैं। पढ़िए रतन दवे की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 30, 2024 / 09:30 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024 : चुनाव में इस बार देश की सबसे हॉट सीट बनी बारामती में राजनीतिक गुणा-भाग के सारे गणित आकर चक्कर खा जाते है। सिंघम फिल्म का मराठी का डायलॉग देशभर के लोगों की जुबान पर है, अत्ता मांजी सटकली.. बस आप सारी कहानी सुनेंगे तो यही कहेंगे… अत्ता मांजी सटकली। यहां ननद का भौजाई से मुकाबला है तो चाचा और भतीजा आमने-सामने हैं। एक ही पार्टी के दो फाड़ हो चुके हैं और कल तक साथ-साथ नारे लगाने वाले कार्यकर्ता अब एक दूसरे के खिलाफ बांहें चढ़ा रहे हैं। मतदाता और भी कन्फ्यूज है, पवार बनाम पवार को लेकर। वे जब कहते हैं कि पवार के साथ हैं तो समझ नहीं आता कौनसे पवार के साथ हैं? लोगों की मानें तो भाजपा (पीएम नरेंद्र मोदी) ने शरद पवार के घर (बारामती) में घुसकर पॉलिटिकल स्ट्राइक कर दी है।

ननद-भौजाई का रोचक मुकाबला बेहद रोचक

मुकाबले की वजह है ननद-भौजाई का आमना-सामना। एनसीपी (शरद पवार) ने तीन बार की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को प्रत्याशी बनाया है। उनका चुनाव चिह्न तुहारी माणस है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) से प्रत्याशी हैं, जिनका चुनाव चिह्न घड़ी है। सुनेत्रा को राजनीतिक अनुभव नहीं है, वे समाजसेवा से जुड़ी रही हैं। शरद पवार के भतीजे हैं अजीत पवार। वे चाचा शरद पवार की अंगुली पकड़कर बड़े हुए और 60 पार की उम्र तक राजनीति में साथ रहे, लेेकिन चंद महीने पहले चाचा-भतीजा में रार पड़ गई। भाजपा ने अजीत की महत्त्वाकांक्षा को ताड़ लिया और इधर परेशान अजीत ने चाचा की अंगुली छोड़ दी। वे शरद पवार से अलग होकर महायुति संगठन में शामिल हुए और एनसीपी को भाजपा के साथ जोड़ लिया। शरद पवार को एनसीपी से अलग एनसीपी (शरद पवार) नई पार्टी बनानी पड़ी। उनको नया निशान तुरही माणस मिला और उन्होंने महाअघाड़ी गठबंधन में खुद को शामिल किया है। बारामती में कभी जिस स्थान पर एनसीपी का कार्यालय था, अब वहां शरद पवार नहीं हैं। यहां अजीत पवार का कार्यालय चल रहा है। अब यहां भाजपा के झण्डे और बैनर लगे हुए हैं। उनके साथ उनका निशान घड़ी भी है।

पीएम मोदी की नहीं हुई कोई बड़ी सभा

बारामती में भले ही घर में घुसकर शरद पवार पर पीएम मोदी ने पॉलिटिकल स्ट्राइक की है, लेकिन अभी तक बारामती में कोई बड़ी सभा नहीं की है। यहां स्टार प्रचारक भी दोनों चाचा-भतीजा ही हैं। दोनों पवार ने अपना पूरा पावर यहां लगा दिया है। यहां मुकाबले की रोचकता अब हर मुंह चढ़ गई है। पवार परिवार के पावर हाउस बारामती को 38 साल से कोई नहीं भेद पाया था, लेकिन अब पवार परिवार ही आपस में उलझा हुआ है। अजीत पवार ही इस चुनाव से पहले तक शरद पवार के फील्ड के हरावल दस्ते के सेनापति थे और अब हराने वाले सेनापति की भूमिका में आ गए हैं। मतदाता दोनों के करीब रहा है। एक तरफ अब अजीत पवार का पावर है तो दूसरी तरफ शरद पवार के प्रति सहानुभूति की लहर। सुनेत्रा (वैनी) और सुप्रिया (ताई) की पावर पॉलिटिक्स पर बारामती से दिल्ली तक की नजर है। पुणे जिले का ही शहर है बारामती, लेकिन लोकसभा की अलग सीट हो गई है। लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें हैं- दांड, बरामती, पुरदर, भोर, खड़कवासला। पुणे से यह लोकसभा सीट अलग होकर बनी है। पुणे से बारामती सोलापुर हाईवे के रास्ते निकलेंगे तो विकास ही विकास नजर आएगा, लेकिन गांव की सड़़कों से दांड इलाके से चलेंगे तो ऊबड़-खाबड़ और कच्चे रास्ते बताएंगे कि हाईवे के हाथी के दांत दिखाने के थे और गांव के रास्ते खाने वाले दांत हैं। खुरगांव, भालगांव, भण्डालवाड़ी से आगे विलवाड़ी तक बढ़े। यहां सुबह मजमा जमा था। विलासराव के साथ में बैठे चुनावी चर्चा कर रहे थे। पानी के बाद समस्या यहां शिक्षा की है। बड़े शहर एज्युकेशन हब हो गए हैं, लेकिन गांव में सातवीं तक के स्कूल हैं और फिर आगे पढऩा है तो 6 से 12 किमी दूर तक कस्बों में जाना होता है। विलासराव कहते हैं कि बेटियों के लिए किराया नहीं लगता है, लेकिन असुरक्षा का भाव रहता है। कक्षा 12वीं तक का स्कूल गांव में हो तो अच्छा होगा। इससे बालिकाओं को पढ़ाने में मदद मिलेगी।

सुप्रिया सुले हैं लगातार तीन बार से सांसद

1991 में यहां से अजीत पवार लोकसभा चुनाव जीते थे। 1991 में उपचुनाव हुआ, इसमें शरद पवार कांग्रेस से जीते। 1994 में फिर उपचुनाव हुआ, कांग्रेस से बापूसाहेब थिटे सांसद बने। 1996 में कांग्रेस से शरद पवार सांसद बने। 1998 में भी शरद पवार कांग्रेस से सांसद बने। 25 मई 1999 को एनसीपी (राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक पार्टी) बनी। शरद पवार ने पार्टी से चुनाव लड़ा और जीते। 2004 में पवार यहां से छठी बार सांसद बने। छह बार सांसद रहने के बाद 2009 में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को प्रत्याशी बनाया। सुप्रिया 2009, 2014 और 2019 में लगातार यहां से सांसद हैं। सात मई को यहां पर चुनाव है। कुल 38 प्रत्याशी मैदान में हैं।

गांव का नाम रोटी, यहां नहीं पानी

यहां की सबसे बड़ी समस्या पूरे इलाके की पानी की है और देखिए मैं भी ऐसे गांव पहुंच गया जिसका नाम रोटी है। रोटी एक किलोमीटर दूर थी तभी से थोड़ा दिलचस्पी जगी। यहां गांव में मिले युवराज शिंदे, उनकी मां लक्ष्मीबाई शिंदे और पूरा परिवार। ये लोग एक टैंकर से ड्रम में पानी भर रहे थे, पूछा तो लक्ष्मीबाई बोली पानी नहीं है। बहुत मुश्किल होती है। युवराज कहते हैं बारिश होती है तो पानी नसीब होता है। इसके बाद प्रतिदिन कम से कम 200 रुपए एक परिवार पानी के खर्च करता है। पानी की समस्या का समाधान किसी ने नहीं किया, इस बार यह बड़ा मुद्दा पूरे लोकसभा क्षेत्र में है। आगे माळेगांव में सताराम घुमटकर मिले जो पढ़े-लिखे हैं, वे आंकड़ों से ताईद करते हैं कि इन्दापुर में 24, दांड़ में 13, पुरदर में 09, भोर में 12 और बारामती के 22 गांव में पानी का कोई प्रबंध नहीं है। इस सवाल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजीत) गुट के संभाजी होल्कर कहते है कि हम अब तीन बड़े डेम बन रहे हैं और इसके बाद इसका समाधान हो होगा।

Hindi News/ National News / बारामती में ननद-भौजाई आमने-सामने, पीएम मोदी ने की शरद पवार के घर पर पॉलिटिकल स्ट्राइक

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो