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अहमदाबाद

अहमदाबाद के इस कमरे में गांधीजी पर चला था राजद्रोह का मुकदमा, 6 वर्ष की हुई थी सजा

घरेलू पर्यटकों की अपेक्षा विदेशी पर्यटक आते हैं ज्यादा

अहमदाबादOct 01, 2021 / 11:31 pm

MOHIT SHARMA

अहमदाबाद के इस कमरे में गांधीजी पर चला था राजद्रोह का मुकदमा, 6 वर्ष की हुई थी सजा

अहमदाबाद के इस कमरे में गांधीजी पर चला था राजद्रोह का मुकदमा, 6 वर्ष की हुई थी सजा

अहमदाबाद . आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के साथ अहमदाबाद और गुजरात का अहम योगदान है। अहमदाबाद के साबरमती आश्रम व कोचरब आश्रम देश की आजादी की लड़ाई के द्योतक हैं। शहर के शाहीबाग में पुराना सर्किट हाउस भी एक ऐसी ही ऐतिहासिक इमारत है। हेरिटेज बिल्डिंग के रूप में प्रसिद्ध यह इमारत आजादी से पहले कोर्ट बिल्डिंग के रूप में कार्यरत थी। यहां पर अदालत का वह कमरा भी है जहां 18 मार्च 1922 को गांधीजी के खिलाफ राजद्रोह का केस मुकदमा चला था और इस मामले में उन्हें 6 वर्ष की सजा दी गई थी। कम प्रचार-प्रसार के चलते इस ऐतिहासिक इमारत की चर्चा अब नहीं होती, लेकिन विदेश से आने वाले शोधार्थी, पर्यटक और गांधीजी के बारे में जानकारी रखने वाले सैलानी यहां पर जरूर आते हैं। हालांकि कोरोना के समय पर्यटकों की संख्या काफी कम रही।
किसी जज के सामने इतना मुश्किल समय नहीं आया
इस कमरे में गांधीजी के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमे वाले आदेश के कुछ अंश भी हैं। इसमें गांधीजी को राजद्रोह की सजा सुनाने वाले जज ने यह कहा था कि गांधीजी इन आरोपों को स्वीकार कर उनका काम आसान कर रहे हैं, लेकिन आपको कितनी सजा करनी चाहिए यह तय करने का काम आसान नहीं है और उन्हें नहीं लगता कि इस देश में किसी भी जज के सामने इतना मुश्किल काम आया हो। अभी तक मैंने जो फैसला किया है या भविष्य में जो करने वाला हूं उन सब में आप एकदम अलग तरह के व्यक्ति हैं। फिर भी आप को न्याय मिले और सार्वजनिक हित भी साधा जाए, इस पर मैं कोई विचार कर रहा हूं। बाल गंगाधर तिलक को इसी मामले में सजा दी गई और मुझे लगता है कि यदि आपको भी तिलक जितनी ही सजा दूं तो तब आपको यह अनुचित नहीं लगेगा। आपको प्रत्येक अपराध के लिए दो-दो वर्ष की सजा देना मेरा कर्तव्य बनता है।
मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी
इस सजा का ऐलान करते हुए जज ने कहा था कि भविष्य में हिंदुस्तान की सरकार आपकी सजा को कम कर, आपको छोड़ दे तो उस दिन मेरे से ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी।
सहेज कर रखा है कमरा
सर्किट हाउस के मैनेजर रमेश पटेल ने बताया कि यह पुराना सर्किट हाउस आजादी के पहले कोर्ट बिल्डिंग था। जिस कमरे में गांधीजी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया था उसे संरक्षित किया गया है। हर वर्ष दिसंबर से जनवरी के बीच में विदेशी पर्यटक यहां जरूर आते हैं लेकिन स्थानीय या देशी पर्यटकों को इसके बारे में कम जानकारी होने के कारण घरेलू पर्यटकों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहती है।

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