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आदमी को गुडमैन बनने का प्रयास करना चाहिए : आचार्य महाश्रमण

इडर से 9 किमी का विहार कर पहुंचे बडोली हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण शनिवार को साबरकांठा जिले के इडर से 9 किलोमीटर का विहार पर बडोली के श्री आर.एच. जानी हिंगवाला हाइस्कूल प्रांगण में पहुंचे।प्रवचन में उन्होंने कहा कि आत्मा को पापों से बचाने के लिए और आत्मा का कल्याण करने […]

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इडर से 9 किमी का विहार कर पहुंचे बडोली

हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण शनिवार को साबरकांठा जिले के इडर से 9 किलोमीटर का विहार पर बडोली के श्री आर.एच. जानी हिंगवाला हाइस्कूल प्रांगण में पहुंचे।प्रवचन में उन्होंने कहा कि आत्मा को पापों से बचाने के लिए और आत्मा का कल्याण करने के लिए आदमी को गुडमैन बनने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि गृहस्थ जीवन में इतना ध्यान रखें कि जब सामायिक की स्थिति हो तो उस स्थिति में चलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। अगर चलना भी पड़े तो सावधानी से देख-देखकर चलने का प्रयास करना चाहिए। उस दौरान किसी कीड़े की भी हिंसा न हो। ऐसी दया व अहिंसा की भावना हम सभी के मन में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ प्रेक्षाध्यान कराते थे। समता में रहने और प्रियता-अप्रियता से मुक्त रहने की प्रेरणा प्रदान करते थे। आदमी को अपने जीवन में धर्म की प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। कोई जैन बने अथवा न बने, किन्तु उसे गुडमैन तो बनने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि आदमी के भीतर अनेक प्रकार की वृत्तियां होती हैं, भाव होते हैं। आदमी के जीवन का एक बढ़िया भाव दया है। आदमी के भीतर दया की भावना होनी चाहिए। सभी जीवों के प्रति दया का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। स्वयं को पाप आचरणों से बचाने के लिए दया की भावना बहुत महत्वपूर्ण होती है।
उन्होंने कहा कि आदमी को हिंसा से बचने का प्रयास करना चाहिए। बिना मतलब अपनी ओर से किसी को तकलीफ न देने की भावना होनी चाहिए। आदमी के मन में दया की इतनी अच्छी भावना रहे कि निरपराध को अपनी ओर से कष्ट तो दें ही नहीं, जितना संभव हो सके, दुश्मनों को भी क्षमा की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए।