प्रोटोकॉल के अनुरूप किया जा रहा उपचार कोरोना के उपचार के लिए प्रोटोकॉल है। सामान्य लक्षण वाले एसिम्टोमेटिक मरीजों को सामान्य बुखार होने, खांसी होने पर आवश्यकतानुसार दवा दी जाती है। उसके बाद रोग या परेशानी के अनुसार दवा दी जाती है। कोरोना संक्रमितों को 14 दिन आइसोलेट होने के बाद मानसिक तौर पर थकान महसूस होती है। समाचार देखकर, मौतों के आंकड़े देखकर, कोरोना संक्रमण बढऩे की सुन-सुनकर रात को नींद उड़ जाती है। हमें भी ऐसा होगा, ऐसे नकारात्मक विचार मन में आते हैं। कोरोना संक्रमित होने पर अन्य लोगों को बताने में संकोच करते हैं। समाज में रिश्तेदार आम तौर पर काम आते हैं, वे भी कोरोना काल में काम नहीं आते हैं। ऐसे लोग फोन पर भी नकारात्मक बातें अधिक करते हैं। इसलिए लगता है कि पैसे, सुविधा, रिश्तेदार आदि भी काम के नहीं लगते।
चिकित्सक की राय लेनी चाहिए कोरोना संक्रमितों को अपने चिकित्सक की राय लेनी चाहिए। तकलीफ पडऩे पर अन्य चिकितसक की राय लेनी चााहिए। कोरोना की दवा लक्षण के आधार पर दी जाती है। आरटी-पीसीआर की वैल्यू कम आने पर, प्रत्येक पांच दिन में सीटी स्केन करवाना ही चाहिए। पांच दिन बाद ही फेफड़े में कोरोना वायरस रोग पैदा करता है इसलिए पांच दिन के बाद सही पता चलता है। इसलिए आरटी-पीसीआर, सीटी स्केन और इन्फ्लेमेटरी मार्कर की वैल्यू को एकत्रकर चिकित्सक एंटी वायरल दवा देने अथवा नहीं देने का निर्णय करते हैं।
अधिकतम 14 दिन तक दवा दी जाती है, जरूरत पडऩे पर रेमडेसिविर इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं। यह समझ लेना चाहिए कि घर में एक सदस्य को कोरोना संक्रमण होने पर अन्य सदस्यों को भी दो-पांच दिन में होगा इसलिए ऐसे सदस्यों को कोई भी लक्षण या तकलीफ महसूस होने पर सरकारी बूथ पर निशुल्क रेपिड एंटीजन जांच करवानी चाहिए और आपातकालीन सेवा 104 पर सूचित करना चाहिए तो घर आकर आवश्यक जांच कर जाते हैं।
अधिकतम 14 दिन तक दवा दी जाती है, जरूरत पडऩे पर रेमडेसिविर इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं। यह समझ लेना चाहिए कि घर में एक सदस्य को कोरोना संक्रमण होने पर अन्य सदस्यों को भी दो-पांच दिन में होगा इसलिए ऐसे सदस्यों को कोई भी लक्षण या तकलीफ महसूस होने पर सरकारी बूथ पर निशुल्क रेपिड एंटीजन जांच करवानी चाहिए और आपातकालीन सेवा 104 पर सूचित करना चाहिए तो घर आकर आवश्यक जांच कर जाते हैं।