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अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर वाहनों के ज्यादा ठहरने पर शुल्क का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

अहमदाबाद डीआरएम को नोटिस

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Time based parking system on Ahmedabad railway station challenged

अहमदाबाद. अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर किसी भी वाहन के प्रवेश के बाद 15 मिनट से ज्यादा समय तक ठहरने पर शुल्क वसूले जाने की प्रस्तावित योजना को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी व न्यायाधीश वी. एम. पंचोली की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद अहमदाबाद के मंडलीय रेल प्रबंधक (डीआरएम) को नोटिस जारी किया है।
सब्जी व्यापारी व सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार अब्दुल गफ्फार घांची की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि यह याचिका अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के इलाकों के वाहनों के हित में दायर की गई है। रेलवे प्रशासन ने रेलवे स्टेशन पर नई तरह की पार्किंग व्यवस्था आरंभ करने का निर्णय लिया है। इसके तहत रेलवे स्टेशन पर आने वाले सभी वाहनों के 15 मिनट से ज्यादा रूकने पर शुल्क वसूला जाएगा। यह पूरी तरह से अनुचित है। पूरे देश के किसी भी रेलवे स्टेशन पर इस तरह की व्यवस्था नहीं है।
याचिका के मुताबिक हवाई अड्डा पार्किंग की तरह आरंभ की जाने वाली इस प्रस्तावित योजना के तहत अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर प्रवेश करने वाले वाहनों को सेंसर आधारित पार्किंग बूथ से गुजरना होगा। वाहन चालकों को कूपन दिया जाएगा जिसमें वाहन का नंबर और समय दर्ज होगा। स्टेशन से निकलते समय वाहन चालकों को शुल्क भरना होगा।

वाहन पार्किंग टे्रन के आगमन-प्रस्थान पर निर्भर

याचिका में कहा गया है कि इस नई योजना के तहत यात्रियों या परिजनों को रेलवे स्टेशन लेने या छोडऩे आने वाले वाहन चालकों या मालिकों को भारी शुल्क का भुगतान करना होगा। वाहनों का पार्किंग टेे्रनों के आगमन व प्रस्थान पर निर्भर करेगा। यदि ट्रेन नियत समय पर आती है तो पार्किंग के लिए ज्यादा शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन टे्रनों के आगमन व प्रस्थान पर गौर करें तो यह पाया गया है कि अधिकांश ट्रेनें अपने नियत स्थल पर देरी से पहुंचती हैं या प्रस्थान करती हैं। यह देखा गया है कि ट्रेन प्राय: 2, 3 या 4 घंटे से ज्यादा से लेकर 9-9 घंटे की देरी तक पहुंचती हैं। यदि रेलवे स्टेशन पर ट्रेन नियत समय पर नहीं आएंगी तो वाहन चालकों-मालिकों के लिए पार्किंग के नियम काफी कड़े साबित होंगे।

रिक्शा चालकों की आजीविका का सवाल

याचिका के मुताबिक अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन 500 से 600 ऑटो रिक्शा आते हैं। रिक्शा चालकों की आजीविका इसी पर निर्भर है। रेलवे प्रशासन के इस नियम से रिक्शा चालकों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। इसलिए रेलवे प्रशासन का यह निर्णय पूरी तरह अनुचित है। इस तरह की योजना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

नहीं होगा ट्रैफिक समस्या का हल

याचिका में यह भी कहा गया है कि समय आधारित पार्किग सिस्टम से ट्रैफिक समस्या का हल नहीं हो सकता। यदि ट्रेनें समय पर नहीं आएंगी तो जाम होगा। यह सिस्टम लोगों के हित में नहीं है। साथ ही इस पद्धति को हवाई अड्डे की तरह लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए इस नई पार्किंग पद्धति को अवैध करार दिया जाना चाहिए। कुछ वर्ष पहले अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर रिक्शा के लिए प्री-पेड सिस्टम आरंभ किया गया था। इसके अमलीकरण में कमी होने के कारण इस सिस्टम को बंद कर दिया गया।