
67 पार्षदों के बैठने के लिए जगह हो, यह भी सोचना पडेग़ा
ब्यावर. नगर पालिका चुनाव के लिए नगर पालिकाओं में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ब्यावर नगर परिषद परिक्षेत्र में वार्डो की संख्या तो बढ़ गई। लेकिन वर्तमान सभागार कक्ष इन वार्डों के निर्वाचित 60 सदस्यों के बैठने के लिए नाकाफी है। ऐसे में आगामी बोर्ड के 60 निर्वाचित सदस्य के साथ मनोनित सदस्यों के बैठक के लिए नए भवन की कमी के समस्या के रूप में सामने आ सकती है।स्वायत शासन विभाग ने वार्डों के पुनर्गठन के बाद जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर नगर निकायों में वार्डों की कुल संख्या का पुन: निर्धारण किया। इससे पूर्व ब्यावर नगर परिषद परिक्षेत्र में 45 वार्ड थे और इन वार्डों से 45 सदस्य निर्वाचित होकर सदन जाते है। 5 सदस्य मनोनित होकर सदन आते थे। ऐसे में सदस्यों की संख्या 50 हो जाती थी। परिषद के हॉल में हुई गत कई बोर्ड की मीटिंगों में इन 50 सदस्यों समेत नगर परिषद अधिकारियों को बैठने में काफी असुविधा होती है। ऐसे में वर्तमान में सभा हॉल अपेक्षाकृत छोटा है। जबकि अब नए परिसीमन के बाद निर्वाचित सदस्यों की संख्या 60 हो गई और अभी हाल ही में हुए निकाय चुनावों में इन वार्डों से 60 पार्षद चुन कर आए। जबकि सरकार की अनुशंसा पर इस बार 7 सदस्यों को मनोनित किया जाएगा और इस तरह से सदस्यों की संख्या 67 हो जाएगी।यह भी हो सकते है शामिलनगर परिषद की बोर्ड मीटिंग में सांसद और विधायक के भी बैठने के लिए उपयुक्त जगह की जरुरत होती है। इसके अतिरिक्त नगर परिषद के अधिकारी एवं अन्य शाखाओं के प्रतिनिधि भी बोर्ड की मीटिंग में शामिल रहते है और इसके कारण वर्तमान सभा हॉल अपेक्षाकृत छोटा रह सकता है।
दर्शक दीर्घा भी उपयुक्त नहीं
चुने हुए जन प्रतिनिधियों ने (पार्षद) सदन में अपने-अपने क्षेत्र के विकास के लिए किसी तरह से प्रतिनिधित्व किया और जन समस्याओं के लिए किसी तरह से और क्या कोशिशें की यह देखने के लिए वार्डवासी आते है। लेकिन वर्तमान हॉल में इन नागरिकों के बैठने के लिए कोई उपयुक्त और सुविधाजनक दर्शक दीघा भी नहीं है। सदस्यों की संख्या अधिक होने से स्थानीय नागरिकों को खासी परेशानी होती है। ऐसे में नागरिकों के लिए उपयुक्त दर्शक दीर्घा की जरुरत भी है।
माइक की व्यवस्था न तकनीकी साउंड सिस्टम
मीटिंग के दौरान सभा हॉल में न तो आधुनिक और सुविधाजनक माइक सिस्टम है और न ही राष्ट्रगान के लिए तकनीकी साउंड सिस्टम। अधिकांश बार सभाध्यक्ष की ओर से कहीं गई बात पीछे तक बैठे सदस्य और नागरिक सुन तक नहीं पाते। इस वजह से ज्यादातर समय सदन की मीटिंग में शोर शराबे की स्थिति भी बनी रहती है। यहीं नहीं वर्तमान सभा हॉल में राष्ट्रगान के लिए भी सालों पुराने साउंड सिस्टम का ही उपयोग किया जाता है।
109 साल पुराना है वर्तमान सभा हॉल
वर्तमान परिषद भवन और सभा हॉल करीब 109 से भी अधिक पुराना है। तत्कालीन चीफ कमिश्नर ई.जी. कॉल्विन ने 14 फरवरी 1910 में प्रदेश के इस पहली नगर परिषद के भवन की नींव रखी थी।
Published on:
24 Nov 2019 11:12 am
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