महानगरों की तरह अजमेर भी प्रदूषित शहर में शामिल हो चुका है। शहर सहित जिले में दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या बढकऱ 15 लाख तक पहुंच चुकी है। वाहनों से उत्सर्जित जहरीला धुआं शहर की हरियाली और लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रहा है। अजमेर में मदार गेट, स्टेशन रोड, आगरा गेट, वैशाली नगर-आदर्श नगर, श्रीनगर रोड पर सर्वाधिक यातायात का सर्वाधिक दबाव रहता है।
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95 प्रतिशत वाहन नहीं सडक़ों पर
22 मार्च को जनता कफ्र्यू और इसके बाद से लॉकडाउन जारी है। इन 39 दिनों में सरकारी और आवश्यक कामकाज कर रहे कार्मिकों और अधिकारियों के टू-व्हीलर, तिपहिया और चौपहिया वाहन संचालित हैं। इनके अलावा दूध, सब्जियों, आवश्यक वस्तुओं के सामान ढुलाई वाले वाहन चल रहे हैं। करीब 90 प्रतिशत वाहन घरों में बंद हैं। शहर के जयपुर रोड, मदार गेट-स्टेशन रोड, वैशाली नगर-पुष्कर रोड, आदर्शनगर, मेयो लिंक रोड पर वाहनों का दबाव नहीं है।
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कार्बनडाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कमएयर क्वालिटी इंडेक्स 43 से 45 के बीच कायम है। वाहन संचालन बंद होने से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 15 से 20 प्रतिशत कम हुआ है। जबकि रोजाना निजी, सरकारी वाहन, ट्रक, सिटी बस, ऑटो, टेम्पो, दोपहिया वाहनों के संचालन से अजमेर में भी प्रदूषण रहता है। इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स 120 से 150 तक रहता है।
लॉकडाउन से गाडिय़ों का संचालन नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल की खपत 15 से 20 प्रतिशत रह गई है। जबकि आम दिनों में ईंधन की खपत 65 से 70 प्रतिशत तक होती थी। संतोष बर्मन, अध्यक्ष पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
वाहन नहीं चलने से स्वत: ईंधन खपत कम है। यह लॉकडाउन के कारण है।
प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष मदस विश्वविद्यालय
प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष मदस विश्वविद्यालय