7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आनासागर झील की सुंदरता की यहां खुल रही पोल,सबसे अधिक गंदा यह छोर

वैशाली नगर के सैक्टर-३ से सटा झील का यह हिस्सा बदहाल, मलबा, कचरा, बाड़े से अटा यह दो सौ मीटर लम्बा किनारा, झील संरक्षण समिति यहां मौका मुआयना करे तो हकीकत होगी उजागर

3 min read
Google source verification
Debris and garbage in Lake Anasagar

आनासागर झील की सुंदरता की यहां खुल रही पोल,सबसे अधिक गंदा यह छोर

- सुरेश भारती
अजमेर. वैशाली नगर के सैक्टर-३ से सटा आनासागर झील का किनारा सबसे अधिक गंदा है। कच्ची बस्ती समीप यह इलाका चौपाटी के एक छोर का प्रवेश द्वार भी है। यहां की दुर्गंध, कच्चा रास्ता और गंदगी के चलते लोग इधर आना ही पसंद नहीं कर रहे। झील किनारे मलबे के ढेर लगे हैं। कई लोगों ने बाड़े बना रखे हैं। गंदगी सडांध मार रही है। बूबल का जंगल फैला हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि झील सौंदर्यीकरण समिति का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जा रहा।

झील की सुंदरता और विकास को लेकर प्रशासनिक बैठकों में कई योजनाएं बनती है। झील में कचरा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई की हिदायतें दी जाती है, लेकिन यह सब फाइलों में दफन हो रहा है।

पुष्कर रोड से चौपाटी तक रास्ता कच्चा

पुष्कर रोड से सागर विहार की चौपाटी के इस छोर तक रास्ता कच्चा है। बारिश के समय यहां कीचड़ रहता है। साथ में सीवरेज प्लांट का एक हिस्सा यहां आधा अधूरा पड़ा हुआ है। इसी क्षेत्र में झील का पानी भरा हुआ है,जिसकी निकासी से दुर्गंध आ रही है। चौपाटी पर जाने के लिए इसी रास्ते से गुजरना होता है, लेकिन यहां के हालात देख लोग मुंह मोड़ रहे हैं।

बूबल के जंगल ने बिगाड़ी सूरत

आनासागर झील के इस हिस्से में देसी बबूल की भरमार है। इससे झील की सूरत बिगड़ रही है। बबूल का जंगल देख हर कोई चौपाटी पर जाने से कतरा रहा है। चौपाटी के इस छोर के बबूल को कटवाने की ओर प्रशासन ने कभी सोचा भी नहीं।

अधिनियमों की पालना से सुधरेंगे हालात

दरअसल, अजमेर की सुंदरता को चार चांद लगाने वाली यह झील दस पतियों की विधवा मानी जा सकती है। झील के लिए अलग-अलग विभागों के पास जिम्मेदारी है जो गंभीरता से जवाबदारी नहीं निभा रहे। राष्ट्रीय झील संरक्षण अधिनियमों का सही मायनों में पालन किया जाए तो आनासागर झील की बदहाली दूर की जा सकती है, लेकिन सम्बन्धित महकमा कभी सख्त नहीं रहा। इसकी वजह अधिकतर सरकारी अधिकारियों को अधिनियमों के प्रावधनों की जानकारी नहीं होना भी है।

इन विभागों के पास जिम्मेदारी

आनासागर झील में पानी की आवक, भराव नियंत्रण, फाटक खोलने सहित अन्य कार्य जलसंसाधन विभाग के पास है। बारिश के समय पानी भराव पर निगरानी रखना भी इसमें शामिल है। इसी प्रकार झील की सीमा सुरक्षा, विकास, साफ- सफाई, कचरा निस्तारण, सीवरेज का पानी सीधे झील में जाने से रोकने सहित अन्य कार्य नगर निगम के जिम्मे है।

प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा, आवक पर निगरानी, पक्षियों के लिए सुविधाएं मुहैया कराने सहित कई कार्य वन विभाग के पास है। इसी प्रकार झील की मछलियों के प्रजनन, सुरक्षा, मत्स्य आखेट व अन्य जलीय जीवों के प्रोत्साहन व सुरक्षा का जिम्मा मत्स्य विभाग के अधीन है। आनासागर झील के चारों ओर आपराधिक गतिविधियां रोकने, पानी में डूबने व आत्महत्या मामले देखने सहित कानून व्यवस्था का कार्य पुलिस विभाग के पास है।

इसी प्रकार बारादरी के विकास, पुरातात्विक अवशेष की सुरक्षा, पर्यटकों की सुविधाएं पुरातत्व विभाग की जवाबदेही में शामिल है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान के तहत पानी को साफ कर झील में डालने का कार्य नगर निगम के पास है। आनासागर झील के पाथवे व समीप में रेस्टोरेंट आदि खोलने की जिम्मेदारी आरएसआरडीसी के क्षेत्राधिकार में है।

मित्तल अस्पताल के सामने पाथवे का निर्माण कार्य स्मार्ट सिटी के तहत कराया जा रहा है। सही मायनों में एक झील के विकास, सुरक्षा व सौंदर्यीकरकण का कार्य इतने सारे सरकारी विभागों के पास होने के बावजूद आनासागर झील बदहाल है।

अभियान चलाने की आवश्यकता

आनासागर झील में यदि सबसे अधिक गदंगी चिह्नित की जाए तो वह वैशाली नगर के सैक्टर तीन से सटे इस इलाके में की जा सकती है। इस क्षेत्र के लिए विशेष कार्य योजना बनाकर प्रशासन को अभियान चलाना चाहिए। इसके लिए जेसीबी, ट्रैक्टर, डम्पर सहित श्रमिकों की जरूरत होगी। यहां से मलबा, कचरा व बाड़े हटाए जाने चाहिए। बूबल की कटाई कर इस क्षेत्र को खुला-खुला रखने की आवश्यकता है।


बड़ी खबरें

View All

अजमेर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग