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Juliflora Effect : चौपाटी को कर रहा चौपट, आनासागर झील का पी रहा पानी

पत्रिका अभियान : हटाओ विषझाड़ आनासागर झील किनारे विलायती बबूल का 'जंगल'

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Patrika campaign- 2500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से हटाएंगे

Patrika campaign- 2500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से हटाएंगे

अजमेर.

आनासागर झील विलायती बबूल (जूलीफ्लोरा) के चंगुल में है। यह चौपाटी को चौपट कर रहा है तो झील के पानी को भी पी रहा है। झील किनारे स्थित यह 'विषझाड़' लोगों के मॉर्निंग वॉक करने, हिलोरे मारती लहरों का लुत्फ उठाने, पक्षियों की परवाज व कलरव देखने-सुनने व सफाई में बाधक बने हैं। वैशाली नगर सागर विहार के एक छोर से सैक्टर-3 तक करीब ढाई किमी लंबी चौपाटी के दोनों ओर विलायती बबूल फैले हैं। इनकी कटाई कराकर यहां छायादार व फलदार पेड़ लगाए जाएं तो झील की नैसर्गिक सुंदरता और बढ़ सकेगी।

पोली हो गई पाल-

झील किनारे 25 हजार से अधिक बबूल उगे हुए हैं। इनकी जड़ें पाल में घुसी हैं। इससे पाल पोली हो गई। कई जगह दरारें आ गईं। ऐसे में बारिश के समय झील में पानी के दबाव से सागर विहार की यह चौपाटी टूट भी सकती है। चौपाटी से सटी कॉलोनियों में करीब 20 हजार लोग निवास कर रहे हैं।

किनारे की सफाई संभव नहीं-
बबूलों के चलते झील किनारे सफाई करने में दिक्कत आ रही है। सागर विहार चौपाटी पर बबूल का इस कदर गठजोड़ है कि पाथ-वे से झील का पानी नहीं दिखता। वैशाली नगर सैक्टर 2 व 3 से सटा झील का किनारा सर्वाधिक प्रदूषित है। रही सही कसर विषझाड़ ने पूरी कर दी।

गोद दे सकते हैं झील के किनारे-

झील किनारे छायादार और फलदार पौधे लगाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व भामाशाह का सहयोग लिया जा सकता है। झील के किनारे गोद भी दिए जा सकते हैं।

फल व फूलदार पौधे लगाना बेहतर विकल्प

सागर विहार चौपाटी पर बबूल का जंगल बेकार फैला है। इससे झील व पक्षियों को कोई फायदा नहीं है। इनकी जगह छायादार व फूलदार पेड़-पौधे लगाना बेहतर विकल्प है। पत्रिका का हटाओ विषझाड़ अभियान प्रशंसनीय है।

रीजनल कॉलेज से पेट्रोल पम्प तक भी विषझाड़

रीजनल कॉलेज के सामने चौपाटी से सागर विहार से सटे क्षेत्र में भी विषझाड़ का जंगल फैला है। यहां बबूल का जंगल है। झील किनारे बबूल फैले होने से यहां किसी तरह का सफाई अभियान नहीं चलाया जाता।

डॉ. के. के. शर्मा, पक्षी विशेषज्ञ

इनका कहना है...
सागर विहार चौपाटी का निर्माण रिलायंस टेलीकॉम कम्पनी ने सीएसआर के तहत एक करोड़ की लागत से कराया है। झील किनारे बबूल का जंगल वाकई कई दिक्कतें पैदा कर रहा है। इसके विकल्प पर जल्द निर्णय किया जाएगा। पत्रिका का अभियान 'हटाओ विषझाड़Ó सराहनीय है। इससे आमजन को जुडऩा चाहिए।

धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर, अजमेर


फैक्ट फाइल-

-सागर विहार चौपाटी का निर्माण : वर्ष 2016-17

- चौपाटी पर सम्पूर्ण कार्य की लागत : एक करोड़ रुपए

- सागर विहार चौपाटी पर बबूल : करीब 25 हजार

- एक से दूसरे छोर की लम्बाई : ढाई किमी

- बबूल की आड़ में चूहे व गोयली सक्रिय : करीब 1500