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फेल हुई अजमेर की इंजीनियरिंग, झील में जा रहा गंदे नालों का पानी

एनजीटी के प्रावधानों का भी उल्लंघन

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फेल हुई अजमेर की इंजीनियरिंग, झील में जा रहा गंदे नालों का पानी

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अजमेर. आनासागर झील anasagar lakeमें नालों का गंदा पानी जाने से रोकने के लिए नगर निगम व स्मार्ट सिटी के अभियंताओं द्वारा अपनाई गई तकनीक फेल साबित हो रही है। झील में गंदे नालों का पानी जा रहा है। इससे झील का पानी दूषित हो रहा है और मछलियां मर रही हैं। झील में 11 नालों का गंदा पानी डाला जा रहा है। यह एनजीटी के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन है।

नगर निगम ने ढाई साल पूर्व चौरसियावास नाले का पानी सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट में डाइवर्ट करने के लिए गुलमर्ग होटल के सामने नाले में अमृत योजना के तहत डाइवर्जन ऑफ ड्राइवेदर फ्लो प्लांट बनाया। इस पर 30 लाख रुपए खर्च हुए। इस प्लांट के जरिए नाले का पानी सीवर लाइन में डाला जाता है। इसके बाद यह 13 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए फिल्टर होकर पुन: झील में जाता, लेकिन यह प्लांट पिछले कई महीनों से बंद है। नाले का गंदा पानी सीधे ही झील में जा रहा है। इस नाले के लिए 3.5 एमएलडी पानी झील में गिरता है। इसका बीओडी 135 है। जबकि एसटीपी से ट्रीट होने के बाद इसका बीओडी केवल 10 ही रह जाता जो एनजीटी के प्रावधानों के भी अनुकूल है।

एसटीपी पहुंचाता है नालों का 5 एलएलडी गंदा पानी
स्मार्ट सिटी के तहत बांडी नदी में भी ऐसा ही प्लांट दो साल पूर्व बनाया गया, लेकिन यह भी बंद पड़ा है। गंदा पानी सीधे ही झील में डाला जा रहा है। इससे भी 3.5 एमएलडी पानी एसटीपी पहुंचता है। अभियंताओं का कहना है कि बरसात के दौरान इस प्लांट को बंद किया जाता है, ताकि कॉलोनियों में पानी नहीं भरे लेकिन बरसात बीते दो माह हो चुके हैं लेकिन अभियंता इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। बांडी नदी व काजी के नाले के जरिए करीब 5 एमएलडी पानी एसटीपी पहुंचता है।

इनका कहना है...

बारिश के बाद नाले का पानी सीवर लाइन में डालते हैं। ध्यान में नहीं है कल चेक कराते हैं।
राजेश शर्मा, अधीक्षण अभियंता, नगर निगम

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