गणेश की आकृति किसी वृक्ष, चट्टान, आलू, बादलों,पानी की लहरों, गाजर, लोकी, खीरा, मूली, गोभी,आम व कददू में भी देखने को मिलती रहती है। लोगों में विनायक की हर छवि के प्रति आस्था है।
ajmer अजमेर. प्रथम पूज्य विनायक गणेश के बिना किसी शुभ कार्य की शुरुआत ही नहीं हो सकती। मंत्रों के जरिए गणेश को आमंत्रित कर न्योता दिया जाता है। उनकी पूजा के बाद ही कोई मांगलिक कार्य आगे बढ़ता है। लंबोदर विनायक की आकृति उनकी पहचान हैं,जो मंदिर पर प्रतिष्ठित मिलेगी। इसके अलावा गणेश की आकृति किसी वृक्ष, चट्टान, आलू, बादलों,पानी की लहरों, गाजर, लोकी, खीरा, मूली, गोभी,आम व कददू में भी देखने को मिलती रहती है। लोगों में विनायक की हर छवि के प्रति आस्था है।
अजमेर के शक्ति नगर स्थित एक वृक्ष के मोटे तने पर गणेश की ऐसी ही आकृति लोगों के लिए कौतूहल बनी रही। इसी ्रप्रकार बाघसूरी क्षेत्र के ग्राम सतवाडिय़ा में एक सब्जी विक्रेता ने आलू की बोरी खोली तो उसमें विनायक की आकृति वाला आलू निकला। यह देख भगवानसहाय छीपा ने आलू रूपी विनायक की पूजा की। ललाट पर तिलक लगाया और पूजा के स्थान पर रख दिया। लोगों को पता चला तो कई श्रद्धालु इसके दर्शन करने आ गए। वैसे हिन्दू देवी-देवता मंदिरों में प्रतिष्ठित रहते हैं, लेकिन आस्था सर्वोपरि है।