उन्होंने अजमेर और भरतपुर के जेल अधीक्षक से फोन पर सम्पर्क कर यह जानना चाहा कि कितने ऐसे अपराधी उनके यहां जेल में बंद हैं, जिनकी सजा तो पूरी हो गई है लेकिन गऱीबी के कारण जुर्माना जमा नहीं होने से वे अपने परिवार के साथ दीपावली की ख़ुशी नहीं मना पाएंगे। इस पर उन्हें भरतपुर सेंट्रल जेल से 2 एवं अजमेर सेंट्रल जेल से भी 2 एेसे लोगों के नाम मिले।
डॉ. मोक्षराज ने अजमेर के न्यायालय में कार्यरत एडवोकेट दीपक शर्मा, कुलदीप सिंह गहलोत एवं रमेशचंद चौधरी व अपने मित्र गुमान सिंह को तथा भरतपुर के हरीश चौधरी एवं न्यायालय में कार्यरत राजकुमार फौजदार एवं संदीप चौधरी को विधिक कार्यवाही के लिए प्रेरित किया। नियमानुसार उन सभी की बक़ाया जुर्माना राशि जमा करवाई व उन्हें कैद से मुक्त कराया गया ।
इस क़ानून के तहत कराया मुक्त पेटी ऑफेंस के अंतर्गत क़ैद अपराधी जिनकी सजा तो पूरी हो जाती है किन्तु अत्यधिक गरीबी के कारण जुर्माना राशि बकाया रहती है, उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या जेल प्रशासन से सम्पर्क कर मुक्त कराया जा सकता है।
यहां से मिली प्रेरणा डॉ. मोक्षराज ने यह नेक कार्य महान समाज सुधारक एवं आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन से प्रभावित होकर किया है। वे महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं आर्य समाज के अनुयायी हैं।
दीपावली के दिन ही महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था। भयंकर षड्यंत्र व विष के कारण दीपावली की शाम को 1883 में महर्षि दयानंद सरस्वती की अजमेर में मृत्यु हो गई थी। न कोई रिश्तेदार, न परिचित
महर्षि दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों का पालन करते हुए उन्होंने जिन सात लोगों को मुक्त कराया वे न तो उनके कोई रिश्तेदार थे और न कोई परिचित और ना ही इसमें किसी प्रकार के धर्म पंथ का बंधन था। मुक्त कराए गए लोगों में अजमेर जिले एवं कर्नाटक राज्य के 2 मुस्लिम थे तथा भरतपुर से दो लोग थे।
मिठाई, किराया व जेबखर्च भी दिया कैद से मुक्त हुए इन लोगों के बच्चों व परिवार के लिए डॉ. मोक्षराज की ओर से न केवल मिठाई व दीपक भेंट किए गए बल्कि उनके घर तक पहुंचने के लिए आवश्यक किराया व रास्ते के लिए जेब खर्च हेतु 1-1 हजार रुपए की अतिरिक्त राशि भी प्रदान की।
इसलिए चुना अजमेर व भरतपुर को महर्षि दयानंद सरस्वती का अंतिम समय अजमेर में व्यतीत हुआ था। अजमेर के आगरा गेट के पास स्थित भिनाय राजा की कोठी में महर्षि दयानंद सरस्वती ने दीपावली की शाम को अंतिम सांस ली थी तथा भरतपुर डॉ. मोक्षराज की जन्मस्थली है।