खंडेलवाल ने बताया कि महज चौदह से पंद्रह वर्ष की आयु में पिताजी से यह कुरान पा कर उन्हें इसका महत्व पता नहीं चला था। लिहाज़ा उन्होंने इस कुरान को एक छोटी डायरी समझ कर अपनी गुल्लक में रख दिया था। लेकिन वर्ष 2003-04 में दुबई के किसी भारतीय प्रवासी ने अपने पास सबसे छोटी कुरान होने का दावा किया।
खंडेलवाल ने बताया कि उनकी इस दुर्लभ कुरान को खरीदने के लिए लोगों ने उन्हें मुंह मांगी रकम दे कर लालच भी देने की कोशिश की। बहुत से लोगों ने उनसे इस कुरान को खरीदना चाहा किसी का कहना था कि तुम हिन्दू हो इसका क्या करोगे तो कोई कहता लाखों-करोड़ों रुपए ले लो पर यह कुरान हमें दे दो। लेकिन खंडेलवाल के अनुसार धार्मिक ग्रंथ कभी नीलाम व बिकाऊ नहीं होते।
लोगों को इस छोटी कुरान का पता चलते ही उन्हें एशिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल करने के प्रस्ताव भी आए। यही नहीं 11 मई 2013 में डॉ. विश्वरूप रायचौधरी ने उन्हें छोटी कुरान का मालिक होने पर राजस्थान बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी सर्टिफ ाई भी किया। कुरान इतनी छोटी है कि इसकी बाइंडिंग भी पूरे भारत में सिर्फ उदयपुर निवासी व्यक्ति ही कर सकता है। खंडेलवाल जल्द ही इस कुरान की दुबारा बाइंडिंग करवाने के लिए उदयपुर जाएंगे।
इस कुरान का वजन मात्र 1.9 ग्राम है। इसकी लम्बाई 1.8 सेंटीमीटर है व चौड़ाई 1.3 सेंटीमीटर है। इस कुरान में महज 258 पन्ने हैं जिसमें सारी जानकारी दी हुई है। कुरान के शब्द चींटी से भी छोटे हैं। उन्होंने बताया कि इस कुरान को सिर्फ उसी मैग्नीफ ाइंग ग्लास से पढ़ा जा सकता है जिससे जौहरी असली हीरे व नगीने की परख करते हैं।