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सलाम इन जनाब को.. ये मंदिर में रखी कुरान की भी करते हैं पूजा

इस कुरान को एक चांदी के डिब्बे में डाल कर ऊपर से एक और डिब्बे में बंद करके रखते हैं।

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घर में पूजा भी करते हैं और इबादत भी।

घर में पूजा भी करते हैं और इबादत भी।

अजमेर। इसे ख्वाजा गरीब नवाज का करम कहें या कुदरत का करिश्मा कि दुनिया की सबसे छोटी और सबसे बड़ी कुरान शरीफ अजमेर में ही स्थित है। गंज निवासी बालकिशन खंडेलवाल के पास विश्व की सबसे छोटी कुरान है जिसे वे घर के मंदिर में देवी-देवताओं के संग पूजते हैं। चाहे होली हो या दिवाली, ईद हो या रमज़ान वे अपने घर में पूजा भी करते हैं और इबादत भी।

खंडेलवाल ने बताया कि यह कुरान उन्हें सन 1975 में उनके पिताजी ने अपनी बीमारी के दिनों में दी थी। साथ ही कहा था कि इसकी हिफ ाज़त अपनी जान से भी ज्यादा करना क्योंकि यह विश्व की सबसे दुर्लभ कुरान है। उस वक्त बालकिशन महज़ 14 वर्ष के थे। कुरान इतनी छोटी है कि इसके अक्षरों को नंगी आंखों से देखना संभव नहीं है। खंडेलवाल ने बताया कि वह इस कुरान को एक चांदी के डिब्बे में डाल कर ऊपर से एक और डिब्बे में बंद करके रखते हैं। साथ ही जिस तरह शुभ कार्यों में इत्र व चावल का इस्तेमाल किया जाता है उसी तरह कुरान के डिब्बे में भी वह चावल का दाना व इत्र की महक को बनाए रखते हैं।

डायरी समझ के रख दिया था कोने में
खंडेलवाल ने बताया कि महज चौदह से पंद्रह वर्ष की आयु में पिताजी से यह कुरान पा कर उन्हें इसका महत्व पता नहीं चला था। लिहाज़ा उन्होंने इस कुरान को एक छोटी डायरी समझ कर अपनी गुल्लक में रख दिया था। लेकिन वर्ष 2003-04 में दुबई के किसी भारतीय प्रवासी ने अपने पास सबसे छोटी कुरान होने का दावा किया।

यह जानकारी मिलते ही खंडेलवाल ने अपनी कुरान किसी मुस्लिम साथी व जानकार को दिखाई तो उसने दावा किया कि सबसे छोटी व दुर्लभ कुरान तो अजमेर में है। तभी से खंडेलवाल इस कुरान की सार सम्भाल अपनी जान से ज्यादा करने लगे। उन्होंने बताया कि इस कुरान को घर में पूजने के बाद उनके सारे कष्ट दूर हो गए। किराए के मकान से उन्हें खुद का घर भी नसीब हुआ।

धार्मिक ग्रंथ बिकाऊ नहीं होते
खंडेलवाल ने बताया कि उनकी इस दुर्लभ कुरान को खरीदने के लिए लोगों ने उन्हें मुंह मांगी रकम दे कर लालच भी देने की कोशिश की। बहुत से लोगों ने उनसे इस कुरान को खरीदना चाहा किसी का कहना था कि तुम हिन्दू हो इसका क्या करोगे तो कोई कहता लाखों-करोड़ों रुपए ले लो पर यह कुरान हमें दे दो। लेकिन खंडेलवाल के अनुसार धार्मिक ग्रंथ कभी नीलाम व बिकाऊ नहीं होते।

एशिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड का प्रस्ताव
लोगों को इस छोटी कुरान का पता चलते ही उन्हें एशिया बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में शामिल करने के प्रस्ताव भी आए। यही नहीं 11 मई 2013 में डॉ. विश्वरूप रायचौधरी ने उन्हें छोटी कुरान का मालिक होने पर राजस्थान बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी सर्टिफ ाई भी किया। कुरान इतनी छोटी है कि इसकी बाइंडिंग भी पूरे भारत में सिर्फ उदयपुर निवासी व्यक्ति ही कर सकता है। खंडेलवाल जल्द ही इस कुरान की दुबारा बाइंडिंग करवाने के लिए उदयपुर जाएंगे।

1.9 ग्राम वजन, महज 258 पन्ने
इस कुरान का वजन मात्र 1.9 ग्राम है। इसकी लम्बाई 1.8 सेंटीमीटर है व चौड़ाई 1.3 सेंटीमीटर है। इस कुरान में महज 258 पन्ने हैं जिसमें सारी जानकारी दी हुई है। कुरान के शब्द चींटी से भी छोटे हैं। उन्होंने बताया कि इस कुरान को सिर्फ उसी मैग्नीफ ाइंग ग्लास से पढ़ा जा सकता है जिससे जौहरी असली हीरे व नगीने की परख करते हैं।