इस साल मानसून प्रदेश और जिले पर मेहरबान (monsoon in rajasthan) है। अजमेर जिले की बरसात का आंकड़ा 900 मिलीमीटर तक पहुंच चुका है। कई साल बाद जिले के तालाब, बांध, एनिकट लबालब होकर छलक पड़े। लोगों ने कई जलाशयों को पहली बार लबालब देखा। अब मानसून के महज छह दिन बाकी हैं। इसके बाद होने वाली बरसात को मानसून की नहीं माना जाएगा।
read more: छात्रसंघ अध्यक्ष ने थप्पड़ के जवाब में प्राचार्य पर छोड़ा हाथ झमाझम बरसात का दौर (heavy rain in ajmer) जुलाई में शुरू हुआ था। 5 से 7 जुलाई तक 160 मिलीमीटर बरसात हुई। इसके बाद 25 से 27 जुलाई तक हुई बरसात (barsat) से आंकड़ा 300 मिलीमीटर पहुंच गया। इसके बाद 1 अगस्त, 16 से 18 अगस्त और 25 से 31 अगस्त के बीच हुई बरसात ने तस्वीर बदल दी। 7 सितंबर तक हुई बरसात (rain in ajmer) से जिले का आंकड़ा 900 मिलीमीटर पहुंच गया। जबकि मानसून के दौरान 1 जून से 30 सितंबर तक जिले की औसत बरसात (average rain)550 मिलीमीटर मानी जाती है।
read more: Smart City : नहीं देखा होगा कभी ऐसा रोड डिवाइडर एक तस्वीर दूसरी भी..
पानी को तरसा बीर तालाब
ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में निर्मित बीर तालाब (beer pond) पिछले 15 साल में कभी लबालब नहीं हो पाया। अवैध अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट से तालाब बर्बाद हो गया है। जबकि इसकी भराव क्षमता 30 फीट (117.12 एमसीएफटी) है। मौजूदा वक्त इसमें पानी नहीं (डेड स्टोरेज) है।
पानी को तरसा बीर तालाब
ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में निर्मित बीर तालाब (beer pond) पिछले 15 साल में कभी लबालब नहीं हो पाया। अवैध अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट से तालाब बर्बाद हो गया है। जबकि इसकी भराव क्षमता 30 फीट (117.12 एमसीएफटी) है। मौजूदा वक्त इसमें पानी नहीं (डेड स्टोरेज) है।
30 साल से कभी नहीं भरा ऊंटड़ा तालाब
18 वीं शताब्दी में निर्मित ऊंटड़ा का तालाब सिंचाई (irrigation) का प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसकी भराव क्षमत 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (heavy rain in ajmer) के बावजूद तालाब को जोडऩे वाले नालों में 5 फीट पानी है। बेतरतरीब एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह (water flows) गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
18 वीं शताब्दी में निर्मित ऊंटड़ा का तालाब सिंचाई (irrigation) का प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसकी भराव क्षमत 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (heavy rain in ajmer) के बावजूद तालाब को जोडऩे वाले नालों में 5 फीट पानी है। बेतरतरीब एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह (water flows) गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
read more: 24X7 Water : प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से मिलेंगी याचिकाकर्ता फायसागर का पानी नालों में
18 वीं सदी में इंजीनियर फॉय की देखरेख में फायसागर झील (foy sagar lake)का निर्माण हुआ था। इसकी भराव क्षमत 26 फीट (165.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (rain in ajmer) के बाद भी झील में 15 फीट पानी ही आया। पानी आवक मार्ग में अतिक्रमण, बेतरतरीब निर्माण और नालों एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
18 वीं सदी में इंजीनियर फॉय की देखरेख में फायसागर झील (foy sagar lake)का निर्माण हुआ था। इसकी भराव क्षमत 26 फीट (165.00 एमसीएफटी) है। अगस्त में ताबड़तोड़ बारिश (rain in ajmer) के बाद भी झील में 15 फीट पानी ही आया। पानी आवक मार्ग में अतिक्रमण, बेतरतरीब निर्माण और नालों एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर सका। इस बार भी मोरी लीक होने से पानी बह गया। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
read more: मुसीबत बन रहा है बस्ती में भरा पानी बरसात के ये हैं फायदे और नुकसान
-जिले के 90 फीसदी तालाब, बांध, एनिकटों में आया पानी
-अतिवृष्टि/ज्यादा बरसात से बढ़ेगा भूमिगत जलस्तर
-काश्तकारों और आमजन को मिलेगा सालभर पर्याप्त पानी
-अतिवृष्टि से फसलों में खराबा होने के आसार
-पानी से टूटी सडक़ों की करानी पड़ेगी मरम्मत
-जिले के 90 फीसदी तालाब, बांध, एनिकटों में आया पानी
-अतिवृष्टि/ज्यादा बरसात से बढ़ेगा भूमिगत जलस्तर
-काश्तकारों और आमजन को मिलेगा सालभर पर्याप्त पानी
-अतिवृष्टि से फसलों में खराबा होने के आसार
-पानी से टूटी सडक़ों की करानी पड़ेगी मरम्मत