हड़ताल के कारण अजमेर आगार को 3 करोड़,अजयमेरू आगार को 4 करोड़ तथा सीबीएस आगार को 1.5 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
हड़ताल का असर रोडवेज बस स्टैंड पर दुकान, होटल-ढाबे चलाने वालों,ऑटो टैम्पो सहित अन्य पर भी पड़ा। 17 सितम्बर से शुरु हुई रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल 6 अक्टूबर को खत्म हो गई।
हड़ताल का असर रोडवेज बस स्टैंड पर दुकान, होटल-ढाबे चलाने वालों,ऑटो टैम्पो सहित अन्य पर भी पड़ा। 17 सितम्बर से शुरु हुई रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल 6 अक्टूबर को खत्म हो गई।
गौरतलब है कि 17 सितम्बर से राजस्थान परिवहन निगम के श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा (एटक, सीटू, इंटक एसोसिएशन, बीजेएमएम,कल्याण समिति) के बैनल तले हड़ताल का आह्वान किया गया था 17 सितम्बर से शुरु हुई यह हड़ताल 6 अक्टूबर तक चली। सात अक्टूबर से रोडवेज चालू तो हुई लेकिन इसको पिछले चार दिन में खास यात्री भार नहीं मिल पाया है।
165 दिन बंद रही थी रोडवेज
रोडवेज इतिहास में सबसे बड़ी हड़ताल सन् 1990 में के बाय यह दूसरी बड़ी हड़ताल थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत तथा परिवहन मंत्री चंद्रभान सिंह थे। अपनी मांगों को लेकर रोडवेज कर्मचारी 72 दिन तक हड़ताल पर रहे।
रोडवेज इतिहास में सबसे बड़ी हड़ताल सन् 1990 में के बाय यह दूसरी बड़ी हड़ताल थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत तथा परिवहन मंत्री चंद्रभान सिंह थे। अपनी मांगों को लेकर रोडवेज कर्मचारी 72 दिन तक हड़ताल पर रहे।
इसके बाद सरकार के आश्वासन पर कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म की थी। 72 दिन से तनख्वाह नहीं मिलने पर कर्मचारियों को भरण पोषण के रूप में 4 हजार रुपए एडवांस दिए गए थे। इसकी कटौती वेतन से किश्तों में की गई थी।
रोडवेज के इतिहास में अब तक 165 दिन तक बसों संचालन नहीं हुआ। इनमें 72 दिन की एकमुश्त हड़ताल के अलावा 6 बार 2-3 दिन की कर्मचारी हड़ताल शामिल है। इसके अलावा भारत बंद व राजस्थान बंद के दौरान भी रोडवेज बसों का संचालन नहीं किया गया।