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प्रयागराज

रामजन्मभूमि विवादः मुस्लिम पक्षकार की इस दलील पर भड़के संत, कहा राम पर कोई टिप्पणी बर्दाश्त नहीं

-मुस्लिम पक्षकारों की ओर से 17 वें दिन सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश की
-सुप्रीमकोर्ट की प्रधानपीठ कर रही है सुनवाई

प्रयागराजSep 03, 2019 / 03:31 pm

प्रसून पांडे

Big news on Ayodhya Ram mandir, Hindu and Muslim side said this in HC

रामजन्मभूमि विवादः मुस्लिम पक्षकार की इस दलील पर भड़के संत, कहा राम पर कोई टिप्पणी बर्दाश्त नहीं

प्रयागराज। अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी विवाद में चल रही सुनवाई के के दौरान सोमवार को मुस्लिम पक्षकारों की वकील की तरफ से कहा दलील दी गई कि तुलसीदास द्वारा रचित रामायण एक काव्य है उसे इतिहास का हिस्सा नहीं कहा जा सकता । मुस्लिम पक्षकारों के अधिवक्ता के इस दलील पर हिंदू धर्म गुरुओं ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें कड़ी नाराजगी व्यक्त की है ।

श्री राम और हनुमान जी ने रामचरित मानस की रचना कराई
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की दलील पर अखाड़ा परिषद ने नाराजगी व्यक्त की है । अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने मुस्लिम पक्षकारों के आरोपों को गलत बताया। कहा रामचरितमानस के तथ्य पूरी तरह से प्रमाणिक और पूजनीय है। सनातन धर्म परंपरा में रामचरितमानस की चौपाइयों का महत्व है। जिस तरह से भगवान श्री कृष्ण ने गीता की रचना कराई।उसी तरह से भगवान श्री राम और हनुमान जी ने गोस्वामी तुलसीदास से रामचरित मानस ग्रंथ की रचना कराई है। रामचरितमानस को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान काव्य कहे जाने पर महंत नरेंद्र गिरी ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर 6 अगस्त से रोजाना हो रही है। सुनवाई के दौरान सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें शुरू हुई है।

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17 वें दिन सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश
बता दें कि राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद को लेकर सुनवाई चल रही है मुस्लिम पक्षकारों की ओर से 17 वें दिन सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए अपनी दलील रखनी शुरू की है। मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से दलील पेश कर रहे अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ को राम जन्मभूमि विवाद के मसले पर ऐतिहासिक बातें और तथ्यों पर भरोसा न करते हुए कानूनी तरीके से निर्णय करने की बात कही। साथ ही रामायण के विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए रामायण को काव्य करार दिया साथ ही रामायण को काल्पनिक बताया। जिसको लेकर संतो में आक्रोश है।

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जन्मभूमि पर रामलला का अधिकार
मुस्लिम पक्षकार के अधिवक्ता धवन की दलील पर टीकरमाफी के महंत हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों को अपने अधिवक्ता को धर्म ग्रंथों की सही जानकारी देनी चाहिए। सुप्रीमकोर्ट में दलील देने से पहले अधिवक्ता को भी इसका अध्ययन करके अपनी दलीलें पेश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण में सिर्फ धार्मिक चौपाइयां ही नहीं है उनमें कई ऐसे रहस्य है जिसे विज्ञान भी मान चुका है। इसलिए उसके अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले अध्ययन करें राम जन्मभूमि पर रामलला का अधिकार है वह रहेगा। इस तरह की भाषा कतई बर्दास्त नही की जाएगी ।

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