तीसरे नंबर पर रहे जगत सिंह के खाते में 24856 वोट आए। जगत सिंह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। कुल 20 उम्मीदवारों में से 18 अपनी जमानत नहीं बचा पाए। जगत सिंह के अलावा जिन्होंने अपनी जमानत जब्त करवा ली, उसमें से केवल निर्दलीय हुकुम सिंह ही 1000 का आंकड़ा पार कर पाए, बाकी सभी 500 वोट के अंदर ही सिमट गए। नोटा को 241 वोट मिले। 7 उम्मीदवार ऐसे थे जिनको नोटा से भी कम वोट मिले। निर्दलीय उम्मीदवार इस्लाम को केवल 94 वोट मिले। 20 वोट रद्द हो गए।
चुनाव में जीत मिलने के बाद साफिया खान ने कहा कि यह जीत मेरी नहीं, कांग्रेस संगठन की जीत है। उन्होंने जीत के लिए सभी कार्यकर्ताओं का आभार जताया। साथ ही कांग्रेस के मंत्री और विधायकों को धन्यवाद दिया। साफिया ने कहा कि जनता भाजपा के मुद्दों से परेशान हो गई हैं। वे केवल बात करते हैं, जमीन पर कोई काम नहीं करते। मोदी जुमलों से भरा भाषण देते हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नजर नहीं आता है। इसलिए जनता ने विकास और भाईचारे के नाम पर कांग्रेस को वोट डाला है।
रामगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद मतदान स्थगित कर दिया गया था। 28 जनवरी को हुए मतदान में निर्वाचन आयोग के मुताबिक 79.04 फीसदी मतदान हुआ था। कुल 20 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच था। कांग्रेस से पूर्व विधायक और एआईसीसी के सचिव जुबैर खान की पत्नी साफिया खान मैदान में थीं। भाजपा से रामगढ़ से विधायक रहे ज्ञानदेव आहुजा का टिकट काटकर सुखवंत सिंह को मैदान में उतारा गया था। वहीं, बसपा से पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह को टिकट दिया गया था।