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चिंतन : वेदों की कम हो गई शाखा, नई पीढ़ी पर पड़ेगा इसका असर

चिंतन : वेदों की कम हो गई शाखा, नई पीढ़ी पर पड़ेगा इसका असर

अलवरMay 29, 2019 / 05:31 pm

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चिंतन : वेदों की कम हो गई शाखा, नई पीढ़ी पर पड़ेगा इसका असर

चिंतन : वेदों की कम हो गई शाखा, नई पीढ़ी पर पड़ेगा इसका असर
अलवर. वैदिक ब्राह्मण संघ की ओर से नयाबास स्थित राजदीप एकेडमी स्कूल में आयोजित ११ दिवसीय पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर का समापन मंगलवार को हुआ। शिविर में आए वक्ताओं ने आज के समय में इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों की बहुत ही आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि इस तरह के शिविर संस्कृति के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। इसलिए आगे भी इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए।
समारोह में मुख्य वक्ता भगवत धर्म वेद विद्यालय, जिंदोली संस्था के अध्यक्ष भगवत वेदपाठी ने १६ संस्कारों का महत्व बताते हुए कहा कि संस्कार संपन्न करने के लिए योग्य पुरोहित सबसे ज्यादा जरूरी है।
उन्होंने बताया कि आज वेदों की बेहद कम शाखाएं रह गई हैं। नई पीढी वेद अध्ययन व अनुशीलन करेगी तभी इस महान विरासत, संस्कृति व विज्ञान को बचाना संभव होगा। उन्होंने वर्तमान समय में वैदिक गुरुकुलों की महत्ता तथा नित्यकर्म संबंधी विधानों के बारे में व्याख्यान दिया। इसके साथ ही नित्यकर्म का वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक समन्वय के बारे में भी जानकारी दी। शिविर संयोजक डॉ गोपाल शास्त्री ने बताया कि वेद इश्वरीय ज्ञान होने के साथ- साथ धर्म और संस्कृति के रक्षक भी हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंतजलि योगपीठ से जुडे ब्रजमोहन पाठक ने की। उन्होंने योग व धर्म के विषय पर चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में पंडित ब्रह्मानंद शर्मा तथा दीपक पंडित ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में जिला ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष मोहन स्वरूप शर्मा, राजस्थान ब्राह्मण महासभा के मनोज सेवदा, तपेश अवस्थी, कमलेश शर्मा, कपिल शर्मा, विष्णु जैमन, केशव शर्मा, ऋषि शर्मा सहित अनेक लोग ह्यह्यउपस्थित थे।

ये थी शिविर की खासियत
शिविर के दौरान प्रशिक्षणार्थियों ने सामूहिक यज्ञ किया। जिसमें प्रशिक्षणार्थियों ने सस्वर वेदपाठ कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। शिविर की सबसे खास बात यह थी कि पहली बार आयोजित इस शिविर को लेकर शहरवासियों में काफी उत्साह दिखाई दिया। इसमें करीब ४० प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। जिनकी उम्र ६ साल से लेकर ५० साल तक थी। प्रत्येक अलग- अलग विषयों का प्रशिक्षण दिया गया। समापन पर सभी अतिथियों का सम्मान किया गया। प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।

कभी रूठना न मुझसे तू सांवरे…
अलवर. कभी रूठना न मुझसे तू श्याम सांवरे, मेरी जिंदगी तो तेरे नाम रे… को सुनकर श्रद्धालु झूम उठे, मौका था नगर परिषद के सामने सेठ सांवरिया मित्र मंडल की ओर से आयोजित एक शाम संावरिया के नाम का।
जिसमें कलकत्ता से आए भजन गायक संजय मित्तल ने अपनी मधुर आवाज में श्याम भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मित्तल का गाया भजन हारे के सहारे आजा, हम तो बाबा के भरोसे चलते हैं और याद क्यों न आएगी, क्यों न मुझको रूलाएंगी…भजन पर श्रद्धालु स्वर से स्वर मिलाने लगे। कैसे नैया होगी पार, टूट गई पतवार नया पार लगा जा भजन को भक्तों ने खूब सराहा। इस अवसर पर वृंदावन बरसाना से आई पूर्णिमा दीदी ने भी मनमोहक भजनों की प्रस्तुति दी। इसके अलावा जयपुर की निशा गोविंद, अलवर के प्रेमसिंह राठोर, लुधियाना के कुश कन्हैया, दिल्ली के गोपाल भारद्वाज ने देर रात तक भजनों की
प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के लिए कोलकाता के कारीगरों की ओर से विशेष दरबार सजाया गया। बाजार को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया। नगर परिषद व होपसर्कस पर भी विशेष रोशनी की गई थी। हजारों की संख्या में श्याम भक्त श्याम बाबा के दर्शनों के लिए उपस्थित थे। भजनों के दौरान श्रद्धालु श्याम बाबा के जयकारे लगाते रहे। श्याम भक्तों के बैठने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। साथ ही छप्पन भोग की झांकी सजाई गई और इत्र की वर्षा भी की गई।

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