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अंबिकापुर

भोजन से पहले और बाद में नहीं मिलता मीठा तो नाराज हो जाते हैं यहां के गजराज, गुस्से में करते हैं ये काम

छत्तीसगढ़ के तमोर पिंगला अभ्यारण्य में प्रतिदिन एक हाथी को कम से कम खिलाया जाता है १० किलो गुड़

अंबिकापुरMay 01, 2019 / 02:42 pm

rampravesh vishwakarma

Elephants

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अंबिकापुर. हाथियों के लिए तमोर पिंगला अभ्यारण्य में खाने के पहले व बाद में उन्हें मीठा देने का रिवाज है। अगर कभी ऐसा न हुआ तो हाथी रूठ जाते हैं और नाराजगी व्यक्त करने के लिए महावत द्वारा दिए गए भोजन-पानी को छोड़ देते हैं।
इससे वहां लोगों को पता चल जाता है कि आज हाथियों को भोजन के पहले मीठा के रूप में गुड़ नहीं दिया गया है। गुड़ भी थोड़ा-मोड़ा नहीं कम से कम 10 किलो एक हाथी को खिलाया जाता है।

वन विभाग द्वारा सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में निर्मित हाथी रेस्क्यू सेंटर में गजराज कॉलोनी बनाई गई है। इस गजराज कॉलोनी में अब तक 5 कुमकी हाथी सहित सोनू व सिविल बहादुर को अलग-अलग रखने की पूरी व्यवस्था की गई है।
Jaggery for elephants
सुबह हाथियों को चरने के लिए महावतों द्वारा छोड़ दिया जाता है, जब ये हाथी जंगल से लौटकर आते हैं तो उन्हें इंसानों द्वारा तैयार भोजन दिया जाता है। भोजन देने के पूर्व कुमकी हाथियों के साथ सोनू व सिविल बहादुर को मीठा के रूप में गुड़ देने की प्रथा है।
हाथी जब मीठा खा लेते हैं तब उन्हें कुरथी व मूंग दाल की खिचड़ी दी जाती है। खिचड़ी खाने के बाद फिर से उन्हें गुड़ दिया जाता है। तमोर पिंगला अभ्यारण्य में तैनात महावत भी काफी खुश हैं, इससे हाथियों के व्यवहार में काफी अंतर देखा जा रहा है।

सोनू व सिविल बहादुर से माहौल खुशनुमा
सोनू व सिविल बहादुर हाथी एक समय में आतंक के पर्याय बन चुके थे। बाद में उन्हें हाइकोर्ट के आदेश पर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। इन दोनों के स्वच्छंद विचरण ने पूरे रेस्क्यू सेंटर का माहौल खुशनुमा बना दिया है। अब इनके साथ एक ही कॉलोनी में कुमकी हाथियों के रहने की वजह से वे भी सोनू व सिविल बहादुर के साथ घुल-मिल जा रहे हैं।

कुमकी को वातावरण में ढालने का प्रयास
कर्नाटक से कुमकी हाथियों को लाने के बाद उन्हें महासमुंद में रखा गया था, ताकि वे यहां के वातावरण में घुल मिल जाएं। फिर यहां से उन्हें तमोर पिंगला अभ्यारण्य में लाकर रखा गया है। अब उन्हें स्थानीय वातावरण में ढालने का प्रयास किया जा रहा है।

रोज देते हैं 10 किलो गुड़
तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर में वन विभाग द्वारा कुमकी के साथ सोनू व सिविल बहादुर को प्रतिदिन दस किलो गुड़ दिया जाता है। इससे उनका न केवल मूड ठीक रहता है, बल्कि हाथियों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
प्रतिदिन गुड़ के बाद हाथियों को कम से कम 20 किलो से अधिक खिचड़ी तैयार कर खिलाई जाती है। हाथी विचरण के दौरान खुद के लिए प्राकृतिक भोजन के रूप में बरगद पेड़ की डालियां और अन्य हरे-भरे पत्ते भी ले आते हैं।

सामान्य बना रहता है हाथियों का व्यवहार
डॉक्टरों की सलाह पर व उनके व्यवहार के अनुसार गुड़ व खिचड़ी देना उचित है। इससे उनका व्यवहार सामान्य बना रहता है।
प्रभात दुबे, हाथी विशेषज्ञ


गुड़ से हाथी को मिलती है तत्काल ऊर्जा
गन्ना हाथी का प्रिय भोजन है। गुड़ से हाथी को तत्काल अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है। इससे उनका स्वाद भी बना रहता है।
डॉ. सीके मिश्रा, पशु चिकित्सक

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