अंबिकापुर. कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष ‘अधर्म पर धर्म, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य के विजय’ का प्रतीक विजयदशमी (Vijyadashami) के अवसर पर लोगों में उमंग व उत्साह नहीं देखा गया। कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष आम जनों के लिए सरगुजा पैलेस (Surguja palace) के द्वार भी बंद रहे। लेकिन राज परिवार के मुखिया प्रदेश के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) ने पारंपरिक रीति-रिवाजों को जरूर पूरा किया, उन्होंने पैलेस में शस्त्र पूजन किया।
सरगुजा की राजसी परंपरा (Royal tradition) में दशहरे का खास महत्व है। आजादी से पहले सरगुजा राजपरिवार के दशहरे का वैभव इतिहास में दर्ज है। सरगुजा पैलेस का दशहरा (Dussehra) आम जनों के लिए खास होता है। संभाग भर से बड़ी संख्या में लोग दशहरा के दिन पैलेस पहुंचते हैं और परंपरा अनुसार राजा के दर्शन कर नजराना देते हैं।
किंतु इस बार कोरोना संक्रमण के कारण आम जनों के लिए पैलेस के द्वार बंद रहे। वहीं परंपरा के अनुसार विजयादशमी पर पैलेस प्रांगण में सुबह सरगुजा महाराज टीएस सिंहदेव व युवराज आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने राजपुरोहित व बैगा की मौजूदगी में शस्त्रपूजन किया। इसके बाद नगाड़ों की पूजा हुई।
शस्त्र शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। नगाड़ा पूजा में एक विशेष समाज के मुखिया की मौजूदगी जरूरी मानी जाती है। वहीं इस नगाड़े को नए सिरे से बनाकर पूजा के दौरान लाते हैं। राजपरिवार द्वारा इसकी पूजा कर इसे बजाया जाता है। इसकी ध्वनि के संचार से लोगों का समर्पण राजा के प्रति बढ़ता है और वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं।
वहीं 26 अक्टूबर को गद्दी पूजा होगी। इस बार दशमी तिथि दो दिन होने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। पहले दिन रविवार को शस्त्रों की पूजा राजपरिवार द्वारा की गई। दूसरे दिन गद्दी पूजन का आयोजन निर्धारित किया गया है।
विजयदशमी पर नहीं निकली शोभायात्रा दशहरा के दिन गाजे-बाजे के साथ राम मंदिर (Ram Mandir) अंबिकापुर से भव्य शोभायात्रा निकाली जाती थी। शोभा यात्रा शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए कालेज मैदान पहुंचती थी। जहां आतिशबाजी के बीच रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता था।
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुआ करते थे। लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण कोई आयोजन न होने के कारण विजयादशमी का पर्व फीका रहा।
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