सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी राजनेता योगेन्द्र यादव ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि सीएए कानून संविधान विरोधी कानून है। यह एक ऐसे विचार से प्रायोजित है जो देश को तोडऩे वाला है। टू नेशन थ्योरी के आधार पर पूर्व में देश का बंटवारा हुआ था। इसी थ्योरी पर आज काम किया जा रहा है और इसे पीछे के दरवाजे से लागू करने की तैयारी की जा रही है।
भारत जोड़ो आंदोलन का होगा आगाज
एनआरसी कानून लागू करने के लिए सरकार 60-70 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। इसमें से 50 हजार करोड़ रुपए देश के बेरोजगारों की सूची तैयार करने में खर्च किया जाता तो इसका फायदा देश के विकास के लिए होता। योगेन्द्र यादव ने कहा कि भारत के 100 बड़े लोगों व संगठनों को सीएए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए जोड़ा गया है।
पुरानी सरकार की तरह कर रही है काम
योगेंद्र यादव ने कहा कि दुर्भाग्यवश पुराने सत्ताधारी जो अब तक काम करते आए हैं, वहीं यह सरकार कर रही है। इंदिरा गांधी की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जेपी आंदोलन खड़ा हुआ था। उसे कुचलने के लिए माओवादी प्रायोजित आंदोलन कहा गया।
एनपीआर कानून का होगा बायकॉट
योगेन्द्र यादव ने कहा कि एनपीआर कानून का पूरे देश में बायकॉट किया जाएगा। जनगणना कानून का विरोध नहीं है लेकिन इस एनपीआर के बाद एनआरसी लाया जाएगा। एनपीआर कानून के माध्यम से परिवार के सदस्यों की सूची ली जाएगी, इसके साथ ही किसी सदस्य के सामने ‘डी’ लिख दिया जाएगा, इसका ही विरोध है।
शाहीन बाग कोई संगठन नहीं, बल्कि एक जगह
शाहीन बाग कोई संगठन नहीं है और न ही कोई उनका नेतृत्वकर्ता है। बल्कि एक जगह का नाम है, जहां की महिलाएं उसका विरोध कर रही हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए तो सही है। विरोध करने का अधिकार संविधान में प्राप्त है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
ओवैसी की राजनीति से सहमत नहीं
योगेन्द्र यादव ने कहा कि शाहिन बाग में कुछ मीडिया के लोगों को जाने से रोका जा रहा है। इसे लेकर मैंने शाहिन बाग के मंच से विरोध किया है। यह मेरा रेकॉडेड भाषण है। शाहिन बाग को लेकर ओवैसी की राजनीति से मैं सहमत नहीं हूं। मैं ऐसे किसी प्रकार के राजनीति से सहमत नहीं हूं।
6 राज्यों का मिला है समर्थन
सीएए कानून व एनपीआर के खिलाफ अब तक ६ राज्यों का समर्थन मिल चुका है। केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड की विधानसभा ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। झारखंड ने सीएए कानून का विरोध नहीं किया है, बल्कि एनपीआर कानून पर विरोध जताया है। छत्तीसगढ़ की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चर्चा हुई है, उन्होंने इस पर सहमति जताई है, लेकिन अब तक कैबिनेट ने इसे पास नहीं किया है। विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है।