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वनिता के साथ हुआ नस्लीय भेदभाव –
वनिता ने कहा कि एक दिन, मैं अपनी बहन, मां और दादी के साथ मैकडॉनल्ड्स के रेस्तरां में बैठ कर खाना खा रहे थे। तभी पास वाली मेज पर बैठे कुछ लोगों ने हम पर नस्लीय फब्तियां कसना शुरू कर दिया और भोजन फेंकने लगे, जिसके कारण हम रेस्तरां से निकल गए।” गुप्ता ने कहा कि उस भावना ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा कि आप जो हैं, उसके कारण असुरक्षित होने का क्या मतलब है।” वनिता उस समय चर्चा में आईं जब एक नई वकील के रूप में उन्होंने 38 लोगों की रिहाई कराने में कामयाबी हासिल की, उनमें से अधिकांश अफ्रीकी-अमेरिकी थे, जिन्हें टेक्सस शहर में ड्रग के आरोपों में गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था और गुप्ता ने उन्हें मुआवजे के तौर पर 60 लाख डॉलर भी दिलाया था।
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भेदभाव के बाद भी अमेरिका से प्यार करना सीखना –
गुप्ता ने कहा कि उन्होंने नस्लीय कट्टरता का अनुभव करने के साथ ही अमेरिका के वादे का सबक भी सीखा है। उन्होंने कहा, “मैंने अपने साथ एक और भावना रखी, हालांकि, मेरे माता-पिता द्वारा और मेरे पति (चिन्ह क्यू. ली) द्वारा भी इसे गहराई से अनुभव किया गया, जिनके (ली के) परिवार ने वियतनाम में हिंसा और युद्ध के कारण पलायन किया था।” उन्होंने कहा कि अमेरिका के वादे पर किसी चीज की अपेक्षा ज्यादा भरोसा जताया और इस देश से प्यार करना सीखा, इसे बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कार्य करने का दायित्व भी साथ लाता है।”