लखनऊ लोकसभा सीट
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भाजपा से तीसरी बार मैदान में हैं। सपा ने अपने जुझारू विधायक रविदास मेहरोत्रा को मैदान में उतारा है। बसपा से सरवर मलिक मैदान में हैं। बसपा भले ही नजर नहीं आ रही हो, पर सपा के वोट बैंक में सेंधमारी तो करेगी ही। ऐसे में इसका सबसे अधिक फायदा भाजपा को ही मिलेगा। वैसे भी लखनऊ को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है।
अमेठी लोकसभा सीट
केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने पिछली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर बड़ा उलटफेर किया था। कांग्रेस ने गांधी परिवार के भरोसेमंद किशोरी लाल शर्मा पर दांव लगाया है। बसपा ने नन्हे सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस के प्रचार की खुद कमान संभाली। राहुल व अखिलेश यादव ने भी यहां साझा सभा की। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ स्मृति के लिए दो, तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एक सभा कर चुके हैं। आखिरी दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रोड शो भी किया।
फैजाबाद लोकसभा सीट
भाजपा ने दो बार से सांसद लल्लू सिंह को फिर मौका दिया है। सपा ने पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद को उतारा है सपा से पूर्व मंत्री आनंद सेन को टिकट न मिलने से उनके भाई पूर्व आईपीएस अरविंद सेन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से मैदान में आ गए हैं। वह सपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बसपा ने सच्चिदानंद पांडेय को उतारा है, वह भाजपा के बेस वोट ब्राह्मणों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं भाजपा व सपा प्रत्याशियों की सीधी लड़ाई में अरविंद सेन व सच्चिदानंद की भूमिका अहम हो गई है।
कैसरगंज लोकसभा सीट
2014 से ही इस सीट पर भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह का कब्जा चला आ रहा है। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को मैदान में उतारा है। सपा ने वरिष्ठ वकील भगत राम मिश्रा को मैदान में उतारकर ब्राह्मण बहुल इस सीट पर भाजपा की राह में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया है। बसपा ने भी ब्राह्मण चेहरे नरेंद्र पांडेय को मैदान में उतार कर लड़ाई को पेचीदा बनाने की कोशिश की है।
मोहनलालगंज लोकसभा सीट
केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर को भाजपा ने तीसरी बार मौका दिया है। सपा ने बसपा के संस्थापक सदस्य और मायावती सरकार में चार बार मंत्री रहे आरके चौधरी पर तो बसपा ने राजेश कुमार पर दांव लगाया है। भाजपा और सपा दोनों के पुराने चेहरे हैं, इसलिए जनता दोनों की खूबियों और कमियों का आकलन कर रही है। मुख्य लड़ाई वैसे तो भाजपा और सपा के बीच ही है, पर बसपा भी जगह बनाने की कोशिश में जुटी है। गोंडा लोकसभा सीट
भाजपा ने लगातार तीसरी बार कीर्तिवर्धन सिंह को मैदान में उतारा है। सपा के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को उतारा है। इस बार 2014 और 2019 की तरह कोई लहर नहीं होने और मौजूदा सांसद से नाराजगी की वजह से भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। बसपा ने भी सौरभ मिश्रा को उतारकर ब्राह्मण बहुल इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई की पटकथा लिख दी है।
फतेहपुर लोकसभा सीट
निषाद और कुर्मी बहुल इस सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति को फिर उतारा है। वह इस सीट पर लगातार तीसरी बार जीत की हसरत में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं। उनका विजय रथ रोकने के लिए सपा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे नरेश उत्तम पटेल को मैदान में उतारा है। बसपा ने मनीष सिंह सचान पर दांव लगाया है। बसपा और सपा का प्रत्याशी एक ही बिरादरी का होने के नाते सपा की चुनौतियां बढ़ी हैं।
रायबरेली लोकसभा सीट
कांग्रेस से इस बार सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी मैदान में हैं। भाजपा ने योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को दोबारा उतारा है। वहीं, बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है। बेटे राहुल की जीत पक्की करने के लिए अस्वस्थ होने के बावजूद सोनिया उनके नामांकन और सभा में शामिल हुई। भाजपा ने भी इस सीट पर राहुल की राह में कांटे बिछाने की पूरी कोशिश की है। न सिर्फ सपा विधायक मनोज पांडेय को भाजपा में शामिल कर लिया, बल्कि प्रदेश की यह इकलौती सीट है, जिस पर दो बार जनसभा के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आए। यहां कांग्रेस और भाजपा में सीधी लड़ाई है।