सरकारी स्कूलों में किसानों और मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं, न कि अमीरों के। सरकार कर वसूलने के बावजूद न्यूनतम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विफल रही है और गरीब बच्चों से सार्वजनिक शिक्षा छीनी जा रही है।
अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआइडीएसओ) के बैनर तले रविवार को छात्रों व अभिभावकों ने कर्नाटक पब्लिक स्कूल Karnataka Public School (केपीएस)-मैग्नेट योजना के तहत राज्य Karnataka के 40 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इसी क्रम में शहर के गोरगुंटेपल्या में एक विरोध सभा भी आयोजित की गई। एआइडीएसओ ने केपीएस-मैग्नेट स्कूल योजना को वापस लेने की मांग दोहराई।
एआइडीएसओ, बेंगलूरु जिला सचिवालय सदस्य नवाज ने कहा कि राज्य सरकार ने केपीएस-मैग्नेट स्कूलों के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लिया है, जिसमें स्कूल संचालन से जुड़ी सेवाओं को आउटसोर्स करने की शर्त रखी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि चन्नपट्टण के होंगनूरु में बना पहला केपीएस-मैग्नेट स्कूल KPS-MAGNET SCHOOL कण्वा फाउंडेशन की फंडिंग से तैयार हुआ है। सरकार ज्ञान आधारित शिक्षा के बजाय छठी कक्षा से ही कौशल आधारित शिक्षा थोप रही है और बस सुविधा की जिम्मेदारी भी स्कूल विकास व निगरानी समिति पर डाल दी गई है। यह पूरी प्रक्रिया सरकारी शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने की साजिश है।
न्यूनतम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विफल
गोरगुंटेपल्या नागरिक समिति की ओर से निर्मला एच.एल. ने कहा कि सरकारी स्कूलों में किसानों और मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं, न कि अमीरों के। सरकार कर वसूलने के बावजूद न्यूनतम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में विफल रही है और गरीब बच्चों से सार्वजनिक शिक्षा छीनी जा रही है।
फीस वहन नहीं कर सकते
अभिभावक भीमा ने कहा कि वे निजी स्कूलों की फीस वहन नहीं कर सकते। वहीं हनुमंती नामक अभिभावक ने भावुक होकर कहा, पहले हमें जहर देकर मार दो, फिर हमारे सरकारी स्कूल को बंद करने की हिम्मत करना। तीसरी कक्षा की छात्रा तनुश्री ने कहा कि वर्षों से चल रहे स्कूलों को बंद नहीं किया जाना चाहिए।