मुख्य भोजन में बदलाव से इन बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। परिवार के सदस्यों से दूर रहने से उनकी मानसिकता पर असर पड़ेगा। ये बाल अधिकारों का उल्लंघन है, जिससे हमें निपटना चाहिए।
कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (केएससीपीसीआर) के सदस्य थिप्पेस्वामी के. टी. ने बताया कि केएससीपीसीआर Karnataka State Commission for Protection of Child Rights छात्रों के निजी छात्रावासों और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े छात्रावासों के कामकाज की निगरानी के लिए मानदंडों का मसौदा तैयार कर रहा है। बाद में इसे सरकार को भेजने की योजना है।
मंगलूरु में सोमवार को बच्चों के अधिकारों Child Rights पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थिप्पेस्वामी ने कहा कि निजी छात्रावासों की निगरानी करने और छात्रों की चिंताओं, जिनमें आवास और भोजन से संबंधित चिंताएं भी शामिल हैं, को दूर करने के लिए कोई सरकारी एजेंसी नहीं थी। न तो शिक्षा विभाग और न ही प्री-यूनिवर्सिटी विभाग ऐसे छात्रावासों को नियंत्रित करता है। हाल ही में आयोग ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। हम मानदंड लेकर आएंगे और सरकार को उन्हें लागू करने की सिफारिश करेंगे।
उन्होंने कहा, मैंने हाल ही में बंटवाल में कुछ छात्रों के छात्रावासों का दौरा किया। वहां अधिकांश छात्र उत्तर कर्नाटक के कलबुर्गी और रायचूर से थे। उन्हें स्थानीय भोजन खिलाया जा रहा है, जो उनके मुख्य भोजन जिसमें ज्वार की रोटी शामिल है, से बहुत अलग है। मुख्य भोजन में बदलाव से इन बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा। परिवार के सदस्यों से दूर रहने से उनकी मानसिकता पर असर पड़ेगा। ये बाल अधिकारों का उल्लंघन है, जिससे हमें निपटना चाहिए।
केएससीपीसीआर KSCPCR मंगलूरु में प्री-यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए आइआइटी जेइइ/नीट परीक्षाओं के लिए आवासीय कोचिंग चलाने वाले एक शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ दायर दो शिकायतों पर सुनवाई कर रहा है। संस्थान पर अन्य बातों के अलावा छात्रों को लंबे समय तक पढ़ाई करवाने और उचित भोजन न देने का आरोप लगाया गया है।