आगरा से बरेली तक फैले नकली दवाओं के रैकेट की जांच कर रहा औषधि विभाग कुछ जांच के घेरे में आ गया है। जांच करने वाले औषधि विभाग के अधिकारियों पर एकतरफा कार्रवाई करने, जांच के नाम पर लीपापोती और चहेते चुनिंदा कारोबारियों को बचाने का आरोप है।
बरेली। आगरा से बरेली तक फैले नकली दवाओं के रैकेट की जांच कर रहा औषधि विभाग कुछ जांच के घेरे में आ गया है। जांच करने वाले औषधि विभाग के अधिकारियों पर एकतरफा कार्रवाई करने, जांच के नाम पर लीपापोती और चहेते चुनिंदा कारोबारियों को बचाने का आरोप है। मामला तूल पकड़ने के बाद एक दवा कारोबारी की शिकायत पर कमिश्नर भूपेंद्र एस चौधरी ने सहायक आयुक्त औषधि संदीप कुमार को तत्काल तलब किया और कड़ी फटकार के साथ निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए।
कमिश्नर की फटकार के बाद औषधि विभाग में खलबली मच गई। औषधि विभाग की टीम दवा कारोबारी को कमिश्नर कार्यालय से अपने कार्यालय ले गई। उनसे काफी मान मनौव्वल की गई। इसके बाद सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा बहेड़ी में जगदीश मेडिकल स्टोर पर बिलों का सत्यापन करने और जांच करने पहुंच गई। ये वही मेडिकल स्टोर है, जिस पर बरेली में गली नवाबान की लखनऊ ड्रग एजेंसी से आगरा से आई दवाओं की खेप भेजी गई थी। ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल स्टोर से खरीद और बिक्री के बिल लिये। उनका सत्यापन किया।
कमिश्नर के निर्देश पर सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा बहेड़ी पहुंचीं और जगदीश मेडिकल स्टोर के बिलों का गहराई से सत्यापन किया। दवाओं की सप्लाई लखनऊ की ड्रग एजेंसी के माध्यम से हुई थी। स्टोर संचालक रजत पिपलानी ने स्वीकार किया कि दवाएं पक्के बिलों पर खरीदी गईं और भुगतान भी किया जा चुका है। यह तथ्य महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले ड्रग विभाग स्वयं कह रहा था कि लखनऊ एजेंसी ने फर्जी बिल बनाए, इसी आधार पर एजेंसी का लाइसेंस तक सस्पेंड कर दिया गया था। अब जगदीश मेडिकल की जांच में बिल सही मिलने से विभागीय कार्रवाई पर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।
इस पूरे मामले ने दवा कारोबारियों में हड़कंप मचा दिया है। बरेली में 20 मेडिकल स्टोरों पर आगरा से दवाएं सप्लाई की गई थीं। इनमें शिव मेडिको, हैप्पी मेडिकोज़, गुनीना फार्मास्यूटिकल्स नकली दवाओं की बिक्री के आरोप में नोटिस जारी किये गये थे। हालांकि चार महीने होने को हैं, औषधि विभाग नोटिस से आगे की कार्रवाई नहीं बढ़ा पाया है। औषधि विभाग पर गंभीर आरोप हैं। इसकी वजह से पूरी प्रणाली कटघरे में है। दवा कारोबारी लगातार आरोप लगा रहे हैं कि विभाग ने एक ही पक्ष पर कार्रवाई की जबकि असली संदिग्धों को बचाने की कोशिश की गई। फर्जी बिल बताकर कुछ एजेंसियों को टार्गेट किया गया। कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद अब जांच की दिशा पूरी तरह बदल गई है, और औषधि विभाग की भूमिका भी जांच के दायरे में आ गई है। कमिश्नर ने बताया कि औषधि विभाग के अधिकारियों को निष्पक्षता से जांच के निर्देश दिये गये हैं। मामले में नियमानुसार कार्रवाई होगी। किसी का भी अहित नहीं होने दिया जायेगा। जो दोषी हैं, वह बचेंगे नहीं और निर्दोषों पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जायेगा।