फरीदपुर कस्बे में चार वर्षीय बच्चे की जान उस वक्त खतरे में पड़ गई जब खेलते-खेलते उसकी नाक में नट घुस गया। नाक में फंसे नट से बच्चे की सांस रुकने लगी, वह तड़पने लगा और घर में अफरा-तफरी मच गई। घबराए परिजन बच्चे को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) लेकर दौड़े।
बरेली। फरीदपुर कस्बे में चार वर्षीय बच्चे की जान उस वक्त खतरे में पड़ गई जब खेलते-खेलते उसकी नाक में नट घुस गया। नाक में फंसे नट से बच्चे की सांस रुकने लगी, वह तड़पने लगा और घर में अफरा-तफरी मच गई। घबराए परिजन बच्चे को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) लेकर दौड़े।
सीएचसी पहुंचते ही डॉक्टरों ने स्थिति की गंभीरता भांप ली। बच्चे की हालत नाजुक थी और हर सेकेंड कीमती। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुराग गौतम के निर्देश पर डॉ. तरुण शर्मा ने बिना देर किए ऑपरेशन का फैसला लिया। करीब आधे घंटे तक चले चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की टीम ने पूरी सतर्कता और कुशलता के साथ नाक में फंसे नट को बाहर निकाला। जैसे ही नट निकला, बच्चे की अवरुद्ध सांस का रास्ता खुला और उसकी जान बच गई।
डॉ. अनुराग गौतम ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे की हालत स्थिर है और उसे निगरानी में रखा गया है। जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह मामला साबित करता है कि सरकारी सीएचसी में भी उच्चस्तरीय, कुशल और पूरी तरह निशुल्क इलाज उपलब्ध है। चिकित्सा अधीक्षक ने यह भी बताया कि यदि यही सर्जरी किसी निजी अस्पताल में कराई जाती, तो परिजनों को करीब 50 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते।