Bhilai News: पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट इंद्रप्रकाश कश्यप को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर ₹49 लाख की ठगी की।
Patrika Abhiyaan: भिलाई रूआबांधा सेक्टर निवासी और पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्थित रश्मि ग्रुप ऑफ कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट इंद्रप्रकाश कश्यप को डिजिटल अरेस्ट कर 49 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी हुई है। ठग ने पीड़ित को मनी लांड्रिंग के मामले में गिरफ्तार जेट एयरवेज के संस्थापक से जोड़कर शिकार बना लिया। 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा। पुलिस ने मामले में अपराध दर्ज कर जांच में लिया है।
भिलाई नगर टीआई प्रशांत मिश्रा ने बताया कि रुआबांधा सेक्टर निवासी इंद्रप्रकाश कश्यप (51 वर्ष) प्राइवेट कंपनी रश्मी ग्रुप श्याम गोकुलपुर, पश्चिम बंगाल में काम करता है। उन्होंने शिकायत की है कि 7 नवंबर को खड़गपुर पश्चिम बंगाल में थे। तभी अनजान नंबर से फोन आया। फोन पर बात करने वाले ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड से सिम जारी करवा 29 लोगों को आपत्तिजनक मैसेज भेजे गए हैं। इसके बाद आरोपी ने मुंबई के कथित साइबर ब्रांच के अधिकारी को फोन ट्रांसफर किया।
पीड़ित इंद्र प्रकाश कश्यप ने पुलिस को जानकारी दी कि कथित साइबर ब्रांच के अधिकारी ने कहा कि उनके आधार कार्ड से मलाड मुंबई के केनरा बैंक में एक खाता खोला गया है और उससे करोड़ों का संदिग्ध लेन-देन किया गया है। उसमें जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के खाते से भी लेनदेन मिला है। इसके आधार पर सीबीआई ने एफआईआर की है और सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह सुनते ही पीड़ित भयभीत हो गया। इसका फायदा उठाकर आरोपियों ने कहा कि जांच होने तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं।
आरोपी समय-समय पर वीडियो कॉल कर उसकी गतिविधि पर नजर रखने लगे। फिर आरोपियों ने कहा वे एक एसएसए (सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट) खोल रहे हैं, जिसमें उन्हें अपने सभी खातों में जमा रुपए ट्रांसफर करना होगा, जिसे दो दिन बाद वापस कर दिया जाएगा।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित के खातों से संबंधित दस्तावेज भिलाई में थे तो आरोपियों ने उन्हें भिलाई जाने के लिए कहा। ट्रेन में भी आरोपी उन पर नजर रखे रहे। इसके बाद पीड़ित 11 नवंबर को भिलाई आए और उनके बताए हुए खाते पर 49 लाख एक हजार 190 रुपये ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद ठगों ने फोन बंद कर लिया।
साइबर ठग अब खुद को पुलिस अधिकारी, क्राइम ब्रांच अधिकारी बताकर फोन पर लोगों को डरा रहे हैं कि कोई अपराध किया है। वे डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर भय फैलाते हैं और पीड़ित से मुकदमा न करने के लिए पैसे मांगते हैं। कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं है। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है। आम जनता से अपील है कि ऐसे कॉल्स पर ध्यान न दें, अपनी निजी जानकारी साझा न करें और साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्क रहें। साइबर प्रहरी अभियान से जुड़कर जागरुकता बढ़ाएं और सुरक्षित रहें।
डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ नहीं होता है। यह सिर्फ एक फ्रॉड है। इस तरह कोई फोन करता है तो समझ जाएं कि साइबर ठग है। तत्काल थाने में संपर्क करें। किसी के झांसे में न आएं। वे डराते हैं, तत्काल पुलिस से संपर्क कर सारी बात बताएं। - सत्य प्रकाश तिवारीसीएसपी, भिलाई नगर