CG News: बजरंगबली की दक्षिण मुखी 30 फीट ऊंची मूर्ति है जिसे देखने लोग दूर दूर से आते है। तत्कालीन अध्यक्ष खोरबहरा भाले के वृक्ष प्रेम के कारण वृहत वृक्षारोपण भी किया गया है।
CG News: पाटन नगर का प्रसिद्ध चण्डी मंदिर आज आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस शारदीय नवात्रि में 315 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए हैं। माता के दर्शन करने के लिए पाटन सहित आसपास क्षेत्र लोगों पहुंच रहे हैं।
इस मंदिर का इतिहास लगभग दस दशक पुराना है। प्रारंभ में यहां केवल एक पत्थर था, जिस पर बनी आकृति की पूजा स्थानीय लोग किया करते थे। सन् 1958 में टीकाराम देवांगन (गुहा) एवं शिक्षक सीताराम के पिता तोरण साव दुर्ग से पाटन आए और यहां माता चण्डी की पूजा-अर्चना करने लगे, जो दुर्ग में भी माता चंडी के भक्त के रूप में पूजा करते थे। उन्होंने उसी समय की आवश्यकता अनुसार एक मंदिर का निर्माण करवाया।
1970-71 में संयुक्त मित्र संघ नामक संस्था बनी, लेकिन विवादों के चलते यह संस्था समाप्त हो गई। अंतत: बुजुर्गों ने मिलकर नया रास्ता निकाला और नगर के प्रतिष्ठित व्यक्ति खोरबहरा भाले को चंडी मंदिर का प्रथम अध्यक्ष बनाते हुए चण्डी मंदिर नव निर्माण समिति का गठन किया। समिति में विष्णु प्रसाद देवांगन को सचिव तथा नकुल देवांगन को सदस्य बनाया गया।
समिति की ओर से सबसे पहले एक-एक हजार रुपए का चंदा एकत्रित किया गया। नगरवासियों ने भी स्वेच्छा से दान दिया। सन 1985-86 में पहली बार मंदिर का भव्य निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और तब से यह धाम नगर की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। वर्तमान में शेषनारायण भाले समिति के अध्यक्ष और राकेश देवांगन सचिव हैं।
संख्या में पहुंचते हैं। जहां बहुतों की मनोकामना पूर्ण हुई है। बजरंगबली की दक्षिण मुखी 30 फीट ऊंची मूर्ति है जिसे देखने लोग दूर दूर से आते है। तत्कालीन अध्यक्ष खोरबहरा भाले के वृक्ष प्रेम के कारण वृहत वृक्षारोपण भी किया गया है।
पाटन विधायक भूपेश बघेल के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में चंडी मंदिर के विस्तार के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। उसी मद से मन्दिर विस्तार का कार्य जारी है। विस्तार योजना के तहत पुराना मंदिर जर्जर हो जाने एवं मंदिर में भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए नए मंदिर का कार्य जारी है जिसमें नगर सहित अन्य भक्तगण भी सहयोग कर रहे है। शनिदेव, हनुमानजी, विशाल शिवलिंग और मां महामाया की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।