बड़ा सवाल: खदान में सुरक्षा के मापदंड पर अफसरों की चुप्पी क्यों? - जिले में अवैध खदान के गड्ढो को कराना होगा बंद - मानसून दस्तक देने वाला है और हम हादसों के इंतजार में बैठे
बागोर के दादिया में अवैध खदान ढहने से दो श्रमिकों की चिता अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि लाखोला में अवैध खदान में भरे पानी ने किशोर की जान ले ली। अवैध खनन कर छोड़े गहरे गड्ढे और खाई जानलेवा साबित हो रहे हैं। इन खदानों के चारों ओर ना सुरक्षा दीवार है ना ही तारबंदी। इनमें गिरकर आमजन के साथ पशु भी काल का ग्रास बन रहे हैं। जिम्मेदार विभाग व जिला प्रशासन हादसे के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। मानसून दस्तक देने वाला है और खदानों में पानी भरना तय है।
अवैध खनन के लिए ना कोई नियम न कायदे
अवैध खदानों के लिए कोई नियम या कानून लागू नहीं होता है। जिले में अवैध खनन करने वाले लोग पत्थर और अन्य खनिज निकाल कर उसे वैसे ही छोड़ रहे हैं। खनिज विभाग इन पर कार्रवाई नहीं कर पाता। जब वह अवैध खनन नहीं रोक पा रहा तो फिर इन खानों में से अवैध खनन बंद होने पर गहरे गड्ढों को कैसे बंद करवा पाएगा।
जिले में कई जगह है गहरे गड्ढे
जिले के लाखोला, रायपुर, करेड़ा, आसींद, जहाजपुर, मांडलगढ़ तथा बिजौलिया क्षेत्र में सरकारी व बिलानाम, चारागाह जमीन पर अवैध खनन होता है। वहां 15 से 20 फीट तक गहरे गड्ढे हैं। बारिश के मौसम में इनमें पानी भरता है, जो कि छोटे तालाब जैसा रूप ले लेता है।
सुरक्षा उपाय जरूरी.....
नोटिस जारी करेंगे
जो खदान लंबे समय से बंद हैं उसे सुरक्षित कराने के लिए खान मालिक को नोटिस जारी करेंगे। अवैध खनन हो रहा है उनकी पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रो में जागरुकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि इस तरह के हादसे नहीं हो सके।
- प्रवीण अग्रवाल, खनिज अभियंता भीलवाड़ा