चमगादड़ को देखकर बुजुर्ग और बच्चों के रोंगटे खड़े हो गए। उनका मानना है कि इस तरह का चमगादड़ उन्होंने जीवन में पहली बार देखा। चमगादड़ की डरावनी आंखे, नाक के नथूने फूले हुए, मुंह खोलने पर नुकीले दांत दिखे।
भीलवाड़ा। शाहपुरा क्षेत्र के सुरली कल्याणपुरा गांव के पास दो दिन पूर्व सुबह पांच फीट चौड़े पंखों तथा ढाई से तीन फीट लम्बा चमगादड़ मिलने से सनसनी फैल गई। विशालकाय चमगादड़ को देखकर ग्रामीणों में दहशत फैल गई। यह चमगादड़ कौतूहल का विषय बन गया है। वन विभाग का मानना है कि इस तरह का चमगादड़ भारतीय उप महाद्वीप में पाए जाते हैं।
जानकारी के अनुसार सुरली कल्याणपुरा गांव में रविवार सुबह इस तरह का चमगादड़ देखा गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां जमा हो गए। चमगादड़ को देखकर बुजुर्ग और बच्चों के रोंगटे खड़े हो गए। उनका मानना है कि इस तरह का चमगादड़ उन्होंने जीवन में पहली बार देखा। मोबाइल से कोई वीडियो बनाने लगा तो कोई फोटो खींचने लगा।
ग्रामीणों का मानना है कि विद्युत तार की चपेट में आने से करंट लगने से चमगादड़ जमीन पर गिर गया। सुबह उजाले में देख नहीं पाने से उड़ नहीं पाया। इस चमगादड़ की डरावनी आंखे, नाक के नथूने फूले हुए, मुंह खोलने पर नुकीले दांत, तीखे कान तथा पंखों के नीचे नुकीले पंजे थे। रात को यह चमगादड़ उड़ गया। इस तरह का एक चमगादड़ पेड़ पर मृत हालत में लटका भी मिला।
माण्डलगढ के सहायक वन संरक्षक पायल माथुर ने कहा कि इस तरह की प्रजाति का चमगादड़ प्रायः भारतीय उप महाद्वीप में पाए जाते हैं। इन चमगादड़ों का चेहरा लोमड़ी या श्वान जैसा दिखाई देता है, इसलिए इन्हें फ्लाई फॉक्स कहा जाता है। कान नुकीले, आंखें बड़ी होती हैं। इनकी मुख्य बात यह होती है कि यह फल, फूलों का रस और पराग खाते हैं। इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते। परागण और बीज फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पैरों समेत पंख फैलाने पर पांच फीट तक चौड़े होते हैं। रात के अंधेरे में ये चमगादड़ रडार की तरह इकोलोकेशन से शिकार का पता लगाते हैं, लेकिन दिन के उजाले में यह नेत्रहीन हो जाते हैं।
यह चमगादड़ इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते। वैसे यह मांसाहारी भी नहीं होते हैं, लेकिन भूख के कारण मांसाहारी बनकर रात में नभचर छोटे पक्षियों, चूहे, खरगोश का भी शिकार कर अपना पेट भर लेते हैं। इस तरह के चमगादड़ कोटा में चम्बल के वन क्षेत्र में पाए जाते हैं। -थानमल जीनगर, वन अधिकारी