धाकड़ पिछले 23 वर्षों में पांच हजार से अधिक पौधे लगाए
जहां चाह है वहां राह है। इस कहावत को साकार कर दिखाया दिव्यांग शिक्षक देवीलाल धाकड़ ने। धाकड़ पिछले 23 वर्षों में पांच हजार से अधिक पौधे लगाए। इनमें अधिकांश छायादार वृक्ष बन चुके हैं। विशेष बात यह है कि तबादला होने के नौ वर्ष बाद भी वे अपने लगाए पौधों की देखभाल के लिए आते हैं। जुलाई-2001 में देवीलाल की नियुक्ति राप्रावि धाबाई की झोंपड़ियां में हुई। विद्यालय मोक्षधाम के पास था। गर्मियों में अंतिम संस्कार के समय छाया के अभाव में लोग विद्यालय में आकर बैठते थे। इसी स्थिति को देख धाकड़ ने पौधे लगाने का संकल्प लिया। वर्ष-2002 में एक नीम का पौधा लगाकर अभियान की शुरुआत की। आमजन, विद्यार्थियों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का सहयोग से हरा-भरा किया। पौधों की सुरक्षा के लिए ईंटों से ट्री गार्ड भी खुद बनाते। आज विद्यालय प्रांगण और आसपास की पहाड़ी सैकड़ों नीम, खेजड़ी, बबूल, पलाश, शीशम जैसे वृक्षों से हरियाली से आच्छादित है।
नक्शा बनाकर किया व्यवस्थित काम
पौधे लगाने वाले व्यक्तियों का नाम और योगदान का पूरा अभिलेख धाकड़ ने सुरक्षित रखा। प्रत्येक पौधे का क्रमांक और नक्शे सहित विवरण दर्ज है। चरवाहों और पशुओं से पौधों को बचाने के लिए संघर्ष किया। वर्ष-2016 में मोटरों का खेड़ा तबादला हो गया। इसके बावजूद धाकड़ आज भी समय निकालकर अपने पौधों और वृक्षों की देखभाल करने बरूंदनी आते हैं।